भोपाल, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के गांव-गांव में जाकर सूखे की जमीनी हकीकत और किसानों का हाल देखकर लौटे अफसरों की रपट ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की आंखे खोल दी है। रपट के अनुसार, किसान को न तो बैंकिंग सुविधा का लाभ मिल रहा है और न ही कृषि विभाग की योजनाएं उन तक पहुंच पा रही हैं।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, राजधानी स्थित प्रशासनिक अकादमी के सभागार में शुक्रवार को अफसरों और मंत्रियों के साथ हुई बैठक में मुख्यमंत्री चौहान के तेवर तल्ख थे।
सूत्रों के अनुसार, बैठक में चौहान ने अफसरों से साफ कहा कि किसानों को कृषि विभाग की योजनाओं, खाद, बीज आदि का लाभ नहीं मिल रहा है, मिट्टी परीक्षण में गड़बड़ी हो रही है। बैकों से मिलने वाली योजनाओं की राशि का भुगतान समय पर नहीं हो रहा है। कृषि विभाग के निचले अमले का काम ठीक नहीं है। अफसरों को गांवों में रात बितानी चाहिए, मगर वे ऐसा नहीं कर रहे हैं।
बैठक से बाहर आए सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने भी संवाददाताओं से कहा कि कुछ व्यवस्थाओं में सुधार की बात मुख्यमंत्री चौहान ने कही है।
उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री चाहते है कि मिट्टी का परीक्षण बारीकी से हो, जो नहीं हुआ। इसके साथ ही बैंकिंग व्यवस्था और अन्य व्यवस्था में सुधार की बात भी की है।”
ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री चौहान ने राज्य के 150 से ज्यादा अफसरों को 25 से 27 अक्टूबर तक के लिए गांव-गांव भेजा था। शिवराज स्वयं तीन दिन विभिन्न इलाकों में खेतों में गए थे। गांव से लौटे अफसरों से चौहान ने गुरुवार को एक-एक कर चर्चा की थी। इन अफसरों ने जो हालात बयां किए थे, वह सरकार के लिए चिंता का कारण है।
मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर शुक्रवार को अफसरों और मंत्रियों की संयुक्त बैठक बुलाई। उन्होंने बैठक में कहा कि किसानों की दशा पर जो बातें सामने आई हैं, वे निराशाजनक हैं।
ज्ञात हो कि राज्य मे कम वर्षा से बड़े पैमानों पर फसलों को नुकसान हुआ है। राजस्व विभाग के सर्वे के अनुसार, लगभग 14 हजार करोड़ रुपये की फसल चौपट हुई है। सरकार किसानों को सात सौ करोड़ रुपये की राहत बांटने जा रही है और तीन हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेने की तैयारी में है।
राजस्व विभाग की सर्वे रपट के बाद ही मुख्यमंत्री चौहान ने 150 से ज्यादा प्रमुख अफसरों और मंत्रियों को गांव तक भेजा था, ताकि किसानों की हालत का पता चल सके।