भोपाल, 4 फरवरी –समाज में बदलाव लाने और जीवन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से अक्सर लोग नवाचार कर नए-नए उपकरण सामने लेकर आते रहते हैं। इसी क्रम में मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में एक शिक्षक ने बच्चों के लिए पढ़ाई को रुचिकर बनाने के इरादे से कबाड़ से ही नए-नए उपकरण बना डाले। इस अनूठी कोशिश के बाद से विद्यालय में आने वाले विद्यार्थियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। ग्रामीणों ने इस बात की जानकारी दी। बालाघाट जिले की बिरसा तहसील के छपला गांव की सरकारी प्राथमिक पाठशाला में शिक्षक के पद पर तैनात अकल सिंह धुर्वे विद्यार्थियों को खुद के तैयार किए उपकरणों के माध्यम से पढ़ाते हैं, जो लोहे की टूटी टंकी और साइकिल के कलपुर्जो और लकड़ी से बनाए गए हैं। इनको बनाने और तैयार करने पर आने वाला खर्च वे अपने वेतन से वहन करते हैं।
बच्चों के लिए पढ़ाई रुचिकर कैसे बनाई जाए, इस पर धुर्वे ने विचार किया और उसके लिए ऐसे उपकरण तैयार किए जो बच्चों को भी खूब भा रहे हैं। उन्होंने अक्षर ज्ञान और अंकगणित को पढ़ाने के लिए आठ से ज्यादा उपकरण तैयार किए हैं। जहां एक ओर ये उपकरण शब्द बनाने में मददगार साबित होते हैं, वहीं पल भर में अंकगणित के सवालों का भी उत्तर देना इनके माध्यम से आसान हो जाता है।
धुर्वे कहते हैं, “बच्चों को पढ़ाते समय ही मेरे मन में विचार आया कि ऐसे उपकरण तैयार किए जाएं, जिससे बच्चों की जिज्ञासा का समाधान हो और वे पढ़ाई में रुचि लें। उसी के चलते ये उपकरण तैयार किए गए हैं। सौ तक की गिनती को लकड़ी से तैयार किया गया है। इन उपकरणों के माध्यम से जहां तीन अक्षरों के शब्दों को बनाना आसान है, तो वहीं करोड़ तक के अंकगणित को हल किया जा सकता है।”
धुर्वे ने कहा कि बीते आठ सालों की कोशिशों के परिणाम के चलते स्कूल आने वाले विद्यार्थियों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी होती जा रही है।
स्कूल की छात्रा निधि पटले ने कहा, “गिनती और विज्ञान को उपकरणों के सहारे पढ़ना अच्छा लगता है। सर, बहुत अच्छा पढ़ाते हैं।”
छपला स्कूल के शिक्षक धुर्वे के पढ़ाने के तरीके की चर्चा हर तरफ है। साथ ही यह उन शिक्षकों और स्कूलों के लिए नजीर है, जो बच्चों को पढ़ाने में रुचि नहीं लेते हैं।