इंदौर: मध्य प्रदेश के खरगौन जिले में महाशिवरात्रि पर 30 वर्षीय दलित छात्रा को सार्वजनिक शिव मंदिर में पूजा करने से कथित तौर पर रोके जाने को लेकर एक पुजारी और दो महिलाओं के खिलाफ तीन मार्च को मामला दर्ज किया गया.
शिव मंदिर में एक दलित महिला को प्रवेश करने से रोकने के आरोप में पुजारी को गिरफ्तार किया गया और दो अन्य पर मामला दर्ज किया गया है.
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद मामले के तूल पकड़ लेने पर यह कार्रवाई की गई.
मेनगांव थाने के टाउन इंस्पेक्टर दिनेश खुशवाना ने कहा, ‘हमें पहले कोई शिकायत नहीं मिली है, लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस कर्मियों की एक टीम उसके घर भेजी गई और धारा 505 (दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने) और एससी/एसटी अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज की गई. तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, जिनमें से दो को नामजद किया गया है, जिसमें पुजारी विजय बर्वे भी शामिल है, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है.’
घटना के वायरल वीडियो में दिखाई दे रहा है कि छात्रा अपने हाथ में पूजा की थाली लिए मंदिर के द्वार पर खड़ी है और मंदिर में प्रवेश से कथित तौर पर रोके जाने का पुरजोर विरोध कर रही है.
वीडियो में छात्रा पश्चिमी मध्य प्रदेश की निमाड़ी बोली में बहस के दौरान एक महिला से पूछती सुनाई पड़ रही हैं कि ‘इस मंदिर में जो भगवान बैठे हैं, क्या वह सिर्फ आपके हैं?’
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, छात्रा की पहचान पूजा खांडे के रूप में हुई है. वह हाथ में एक आरती की थाली लिए पुजारी सहित लोगों से मंदिर परिसर में पूजा करने की अनुमति देने का आग्रह करती दिखाई दे रही हैं. खांडे ने उनसे कहती हैं कि अगर वे उसे अंदर नहीं जाने देंगे तो वह पुलिस को सूचित कर देंगी. वीडियो में पुजारी भी कॉल करते नजर आ रहे हैं.
महिला ने बाद में मीडियाकर्मियों को बताया कि पुजारी ने दलितों को मंदिर में प्रवेश नहीं करने के लिए कहा था.
उन्होंने कहा, ‘मैंने पुजारी को कुछ नहीं बताया, लेकिन अचानक वह खड़ा हो गए और कहा कि हरिजन मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते. हरिजन बाहर से ही पूजा करेंगे, उन्हें पूजा करने का अधिकार नहीं है. लेकिन मैं केवल यह पूछना चाहती हूं कि हम पूजा क्यों नहीं कर सकते, क्या ऐसा कानून या संविधान में लिखा है?’
खांडे ने कहा. ‘मैं चाहती हूं कि लोग उनसे पूछें कि उनके समुदाय का मुखिया कौन है जो इस तरह के नियम बनाता है. वहां 100-200 लोग खड़े थे, वे पढ़े-लिखे और जागरूक लग रहे थे, फिर भी उन्होंने मुझे अंदर नहीं जाने दिया.’
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अनुसूचित जाति वर्ग से ताल्लुक रखने वाली महाविद्यालय की छात्रा का आरोप है कि महाशिवरात्रि पर मंगलवार (एक मार्च) को उसे टेमला गांव के सार्वजनिक शिव मंदिर में पूजा करने से जातिगत भेदभाव के कारण रोका गया और इस दौरान जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल भी किया गया.
अधिकारियों ने इंदौर से करीब 150 किलोमीटर दूर टेमला गांव में ही रहने वाली छात्रा की शिकायत के हवाले से बताया कि उनकी चचेरी बहन ने घटना का वीडियो बना लिया था.
उन्होंने बताया कि इस शिकायत पर मंदिर के पुजारी और घटना के वक्त मंदिर में मौजूद दो महिलाओं पर आईपीसी की धारा 505 (2) (विभिन्न वर्गों में वैमनस्य फैलाने वाले कथन) और अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की संबद्ध धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इस बीच, दलित संगठन अखिल भारतीय बलाई महासंघ के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को ‘जय भीम’ और ‘हर-हर महादेव’ के नारे लगाते हुए घटना को लेकर खरगौन के पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया.
संगठन के अध्यक्ष मनोज परमार ने बताया, ‘प्रदर्शन के बाद दलित छात्रा ने पुलिस सुरक्षा में टेमला गांव के उसी शिव मंदिर में रुद्राभिषेक किया जिस मंदिर में प्रवेश से उसे महाशिवरात्रि पर रोक दिया गया था.’