नई दिल्ली. चीनी मोबाइल कंपनी वीवो सहित कई चाइनीज कंपनियों से जुड़े तफ़्तीश मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है. जांच के दौरान जानकारी मिली है कि भारत में 2014 के बाद चीनी मूल की कई फर्जी कंपनी अचानक एक्टिव हुई हैं. कंपनी का निदेशक और फर्जीवाड़े को अंजाम देने वाला आरोपी चीन का मूल नागरिक है. आरोपी निदेशक से संबंधित तफ्तीश शुरू हुई है. ED की शुरुआती तफ़्तीश के मुताबिक ये मनी लॉन्ड्रिंग का मामला करीब 1,000 करोड़ से ज्यादा का हो सकता है. बता दें कि बीते मंगलवार को भी ईडी द्वारा 22 राज्यों की 44 लोकेशन पर छापेमारी चली थी. आज भी उसी 44 लोकेशन पर ईडी की छापेमारी चल रही है. हिमाचल के सोलन इलाके में चाइनीज कंपनियों का एक कॉरपोरेट दफ्तर बनाया गया था. ED के रडार पर GPICPL नाम की कंपनी है.
इस कंपनी द्वारा फर्जी दस्तावेजों के सहारे कई कॉरपोरेट दफ्तर बनाए गए. फर्जी दस्तावेजों के सहारे कंपनी का निदेशक बना. प्रवर्तन निदेशालय को शक है कि यह कथित जालसाजी शेल या फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल करके अवैध रूप से कमाए गए धन की हेराफेरी करने के लिए की गई थी. इसमें से कुछ ‘‘आपराधिक आय’’ को विदेश भेजा गया या भारतीय कर और प्रवर्तन एजेंसियों को धोखा देकर कुछ अन्य व्यवसायों में लगा दिया गया. इस कार्रवाई को चीनी संस्थाओं और उनसे जुड़े भारतीय पक्षों के खिलाफ केंद्र सरकार की कार्रवाई के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है. आरोप है कि ये कंपनियां यहां काम करते हुए धन शोधन और कर चोरी जैसे गंभीर वित्तीय अपराधों में लिप्त हैं.