भोपाल – शासकीय कर्मचारी घोषित कर उसी तरह वेतन-भत्ते व अन्य सुविधाएं देने की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे सहकारी समितियों के कर्मचारियों से अब सरकार सख्ती से निपटेगी। कुछ मांगों का निराकरण करने के बाद भी नहीं मान रहे 14,321 कर्मचारियों को सहकारिता विभाग ने बर्खास्तगी का नोटिस थमा दिया है। सोमवार तक वे काम पर नहीं लौटे तो कार्रवाई की जाएगी। वहीं, दुकानों से राशन वितरण और किसानों का गेहूं उपार्जन के लिए पंजीयन करने हेतु कलेक्टरों को वैकल्पिक अमला तैनात करने के निर्देश दिए गए हैं। सहकारिता विभाग ने भी एस्मा (अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून) लागू करने की तैयारी कर ली है।
प्रदेश में सहकारी समितियों द्वारा संचालित 15,889 उचित मूल्य दुकानें कर्मचारी हड़ताल की वजह से बंद हैं। इससे न तो सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन वितरित हो रहा है, न गेहूं उपार्जन के लिए किसानों का पंजीयन। कर्मचारियों की मांग है उन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत ढाई साल का लंबित कमीशन दिया जाए।
सेल्समैन के वेतन में भी विलंब नहीं हो। उपार्जन की बकाया राशि का भुगतान कर शासकीय कर्मचारी घोषित कर उनके समान वेतन-भत्ते दिए जाएं। कई दौर की चर्चा के बाद भी वे शासकीय कर्मचारी घोषित करने की मांग पर अड़े हैं। इससे प्रभावित हो रहे काम को देखते हुए अब विभाग ने उन्हें बर्खास्त करने के नोटिस थमा दिए हैं।
वहीं, प्रमुख सचिव खाद्य फैज अहमद किदवई और प्रमुख सचिव सहकारिता उमाकांत उमराव ने कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि राशन वितरण के लिए दुकानों पर सेल्समैन के स्थान पर वैकल्पिक व्यवस्था बनाएं। ग्राम सहायक, पंचायत सचिव की सेवाएं इसमें ली जा सकती हैं।