भोपाल-प्रदेश सरकार किसान हित में लगातार समर्थन मूल्य पर गेहूं और धान तो खरीद रही है, मगर सेंट्रल पूल में उठाव नहीं होने से राज्य नागरिक आपूर्ति निगम पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। निगम के ऊपर लगभग 65 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है और इस पर प्रतिदिन 14 करोड़ रुपये का ब्याज लग रहा है। भारतीय खाद्य निगम द्वारा सेंट्रल पूल में समय से अनाज का उठाव नहीं करने की वजह से परेशानी बढ़ गई है
इससे निपटने के लिए गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रालय में उपार्जन की स्थिति की समीक्षा की
बैठक में खाद्य विभाग के अधिकारियों ने गेहूं और धान के उपार्जन के साथ कर्ज की स्थिति की पूरी जानकारी प्रस्तुत की। इसमें बताया गया कि प्रदेश में समर्थन मूल्य पर खरीद बढ़ती जा रही है। वर्ष 2019 में 72 लाख टन गेहूं खरीदा गया था, जिसमें से साढ़े छह लाख टन गेहूं केंद्र सरकार ने सेंट्रल पूल में लेने से इन्कार कर दिया था
इस गेहूं को अब नीलाम किया जा रहा है ताकि फंसी हुई लागत निकल आए। इसके लिए निविदा भी आमंत्रित की गई थी लेकिन उसके प्रविधानों को लेकर विवाद होने पर उसे निरस्त कर दोबारा निविदा आमंत्रित की गई हैं। उम्मीद की जा रही है कि प्रति क्विंटल आधार दर एक हजार 590 रुपये से अधिक मिल सकते हैं। वर्ष 2020 और 21 में खरीदा गया लगभग 70 लाख टन गेहूं भंडार गृहों में रखा हुआ है।
भारतीय खाद्य निगम से उठाव तेजी के साथ कराने को लेकर कई बार बैठक भी हो चुकी है। केंद्र सरकार के समक्ष भी यह विषय उठाया जा चुका है, पर इसका निराकरण नहीं हुआ है। वहीं, भंडार गृहों में जो अनाज खराब हो जाता है, उसकी वित्तीय भार भी राज्य के ही ऊपर आता है। भंडारण का किराया निगम दे रहा है। मुख्यमंत्री ने बैठक में मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि इसे केंद्र सरकार के समक्ष उठाया जाएगा। अनाज के उठाव को लेकर पत्र भी भेजा जाएगा। अधिकारियों के स्तर पर भी चर्चा की जाएगी
क्या है वजह
नागरिक आपूर्ति निगम न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से गेहूं, धान सहित अन्य उपज की खरीद करता है। इसके लिए सरकार की गारंटी पर भारतीय रिजर्व बैंक से ऋण लिया जाता है। इससे किसानों को भुगतान, अनाज के परिवहन और भंडार गृहों में अनाज रखने के एवज में किराए का भुगतान किया जाता है।
भारतीय खाद्य निगम जब सेंट्रल पूल में अनाज ले लेता है तो फिर उसका भुगतान राज्य को किया जाता है। भंडार गृहों में अभी वर्ष 2019, 2020 और 2021 में खरीदा गया लगभग 70 लाख टन गेहूं रखा हुआ है। जब तक इसे सेंट्रल पूल में नहीं ले लिया जाता, तब तक भुगतान भी नहीं होगा इसी तरह सार्वजनिक वितरण प्रणाली में वितरित होने वाले खाद्यान्न् का भुगतान भी समय पर नहीं हो रहा है💥✍