शिवपुरी-मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले सहित अन्य जिलों में डेंगू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पिछले 20 दिनों में यहां दर्जनों डेंगू के मरीज सामने आए हैं, जिसमें से तीन मरीजों की मौत हो चुकी है। वहीं डेंगू से शिवपुरी के 12 वर्षीय आराध्य त्रिपाठी की भी मौत हुई है, जिसने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया है। आराध्य, जो अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था और पढ़ाई में भी अव्वल था, उसकी तबीयत बिगड़ने पर उसे पहले शिवपुरी के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां माता -पिता ने डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है।
आराध्य की तबीयत बिगड़ने के बाद उसे शिवपुरी से ग्वालियर के कमला राजा अस्पताल और फिर वहां से दिल्ली एम्स रेफर किया गया, लेकिन एम्स दिल्ली पहुंचने से आधे घंटे पहले ही उसकी मौत हो गई। पिता अभय त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि जिला अस्पताल में 20 घंटे तक भर्ती रहने के बावजूद डॉक्टरों ने न तो कोई खास जांच की और न ही स्थिति की गंभीरता को समझा। डेंगू के लक्षण और प्लेटलेट्स की तेजी से गिरती संख्या के बावजूद डॉक्टरों ने समय पर इलाज करने में देरी की, जिसके कारण बच्चे की जान चली गई।
यह इस साल शिवपुरी में डेंगू से होने वाली पहली मौत नहीं है। इससे पहले 11 अक्टूबर को पिछोर की 50 वर्षीय साधना पुरोहित की भी डेंगू से मौत हो गई थी। साधना को ग्वालियर में इलाज के लिए भर्ती किया गया था, जहां उसकी मृत्यु हो गई। परिजनों का कहना है कि पिछोर अस्पताल में साधना का सही इलाज नहीं किया गया और उसे ग्वालियर जाने पर डेंगू की पुष्टि हुई।
इसके अलावा 11 अक्टूबर को ही बामौरकलां के 4 साल के राम लखेरा की भी ग्वालियर में इलाज के दौरान मौत हो गई। राम को बुखार के बाद चंदेरी में जांच के लिए ले जाया गया था, जहां डॉक्टरों ने डेंगू का संदेह जताया। उसके बाद उसे ग्वालियर ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।
तीनों मामलों में एक बात समान है कि इन मरीजों का इलाज शिवपुरी के अस्पतालों में शुरू हुआ, लेकिन लापरवाही और समय पर सही जांच न होने के कारण उनकी हालत बिगड़ती चली गई और अंत में जानलेवा साबित हुई। शिवपुरी में डेंगू के प्रकोप को लेकर जिला स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। मरीजों के परिजनों का कहना है कि शिवपुरी में डेंगू की पहचान और शुरुआती इलाज की व्यवस्था बेहद कमजोर है, और इसी कारण लोगों को ग्वालियर, झांसी या दिल्ली जैसे बड़े शहरों में रेफर किया जा रहा है, जहां पहुंचने से पहले ही कई मरीजों की हालत बिगड़ चुकी होती है।
जिले के सीएमएचओ डॉ. संजय ऋषिश्वर ने सफाई में कहा कि स्वास्थ्य विभाग के पास डेंगू पॉजिटिव की कोई पुष्टि नहीं थी, इसलिए मामले की गंभीरता को तुरंत समझ पाना संभव नहीं था। वहीं, सिविल सर्जन डॉ. बीएल यादव ने कहा कि अस्पताल में भर्ती मरीजों की नियमित जांच कराई जाती है और विशेष लक्षण पाए जाने पर ग्वालियर रेफर करने का फैसला लिया गया था।
तीन मौतों के बाद अब जिला प्रशासन ने डेंगू पर नियंत्रण पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग को अधिक सतर्कता बरतने और समय पर पहचान व इलाज सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, परिजनों का कहना है कि यह निर्देश समय रहते दिए जाते तो शायद आज उनके परिवार के सदस्य जीवित होते। इस स्थिति ने पूरे शिवपुरी जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और अस्पतालों में इलाज की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग डेंगू के बढ़ते मामलों से चिंतित हैं और जिले में चिकित्सा व्यवस्था को लेकर गहरा आक्रोश है।