भोपाल: मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर स्थित प्रसिद्ध शारदा मंदिर, जो 51 शक्तिपीठों में से एक है, में अब मुस्लिम समुदाय के लोग कर्मचारी के तौर पर काम नहीं कर सकेंगे. न्यूज 18 के मुताबिक, साथ ही इस नगर में मांस-मदिरा की दुकानें भी बंद होंगी.
एनडीटीवी के मुताबिक, राज्य सरकार ने निर्देश दिया है कि अब मंदिर की प्रबंधन समिति में मुस्लिम कर्मचारी काम नहीं कर सकेंगे. राज्य के धार्मिक न्यास और बंदोबस्ती मंत्रालय की उपसचिव पुष्पा कुलेश द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र में मंदिर समिति को 17 जनवरी को जारी निर्देश का पालन करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है.
इस आदेश के अनुपालन में मां शारदा मंदिर में 1988 से काम कर रहे दो मुस्लिम कर्मचारियों की नौकरी जा सकती है.
हालांकि, एनडीटीवी ने लिखा है, ‘राज्य सरकार के नियम कहते हैं कि धार्मिक आधार पर किसी भी कर्मचारी को हटाया नहीं जा सकता है.’
मीडिया में सामने आई सरकारी आदेश की प्रति में ‘विषय’ के तौर पर स्पष्ट लिखा है, ‘मां शारदा देवी मंदिर की धार्मिक नगरी से मांस एवं मदिरा की दुकान हटाए जाने एवं प्रबंध समिति से मुस्लिम कर्मचारी को तत्काल हटाए जाने के संबंध में.’
दोनों आदेश कथित तौर पर दक्षिणपंथी विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के समर्थकों द्वारा जनवरी में संस्कृति, धार्मिक न्यास और बंदोबस्ती मंत्री ऊषा ठाकुर से संपर्क करने के बाद जारी किए गए थे.
जिला कलेक्टर अनुराग वर्मा, जो मंदिर प्रबंधन समिति के प्रमुख भी हैं, ने मीडिया को बताया है कि नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.
एनडीटीवी ने लिखा है, ‘सतही तौर पर आदेश केवल दो कर्मचारियों को प्रभावित कर सकता है. लेकिन मैहर के इतिहास को पीछे देखने पर पता चलता है कि नुकसान कितना गहरा होगा.’
मैहर प्रसिद्ध संगीतकार और मैहर घराने के संस्थापक बाबा अलाउद्दीन खान का घर था, जिसने भारतीय शास्त्रीय संगीत में कुछ सबसे बड़े नामों का निर्माण किया. खान के प्रसिद्ध शिष्यों में पंडित रविशंकर, पंडित निखिल बनर्जी और उनकी बेटी अन्नपूर्णा देवी और पुत्र उस्ताद अली अकबर खान शामिल हैं. बाबा अलाउद्दीन को पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था. शारदा मंदिर में वे देवी के लिए प्रार्थना और संगीत का प्रदर्शन करते थे.
टाइम्स नाउ ने समाचार एजेंसी आईएएनएस के हवाले से मां शारदा देनी प्रबंध समिति के एक सदस्य का बयान भी प्रकाशित किया है.
उक्त सदस्य ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया है, ‘हमें मामले के संबंध में एक पत्र मिला है और अब इसे चर्चा के लिए मंदिर की प्रबंधन समिति के समक्ष लाया जाएगा. समिति जो भी फैसला करेगी वह अंतिम फैसला होगा.’