मध्यप्रदेश शासन द्वारा शिशु मृत्यु दर को कम करने के प्रयासों को राष्ट्रीय-स्तर पर सराहा गया है। हाल ही में श्रीनगर में एन.आर.एच.एम. एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत शासन द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में देश में सर्वाधिक नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाइयों (एस.एन.सी.यू.) की स्थापना करने के लिये मध्यप्रदेश को प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मध्यप्रदेश को हरियाणा, महाराष्ट्र, आन्ध्रप्रदेश, उत्तरांचल को नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई की स्थापना एवं इसके डाटा प्रबंधन प्रणाली स्थापित करने में सहयोग का अवसर मिला है।
मध्यप्रदेश शासन द्वारा विगत वर्षों में स्वास्थ्य सूचकांकों में प्रगति लाने के लिये कई महत्वपूर्ण कदम उठाये गये हैं। प्रसव केन्द्र की वर्तमान संख्या 900 से बढ़ाकर प्रदेश में 1597 की जा रही है। नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिये प्रदेश के 44 जिलों के जिला अस्पतालों में यूनीसेफ के तकनीकी सहयोग से नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाइयाँ संचालित हैं। अगस्त, 2013 से शेष 6 जिलों में भी ये इकाइयाँ स्थापित कर ली जायेंगी। इन इकाइयों की स्थापना के बाद मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य होगा, जिसके सभी जिलों में नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाइयाँ क्रियाशील होंगी। इन इकाइयों में प्रतिवर्ष प्रति इकाई 1000 नवजात शिशुओं को बचाने का कार्य किया गया। साथ ही डेढ़ लाख से अधिक नवजात शिशु का इलाज भी किया गया। वर्ष 2013 में 70 हजार से अधिक नवजात शिशु के भर्ती होने का लक्ष्य अनुमानित है।
प्रदेश में नवजात शिशुओं के संरक्षण के लिये किये गये प्रयासों का ही परिणाम है कि शिशु मृत्यु दर में 12.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो राष्ट्रीय स्तर पर 8.8 प्रतिशत गिरावट से कहीं अधिक है। मध्यप्रदेश की नवजात मृत्यु दर, जो वर्ष 2002-2006 की 5 वर्ष की अवधि में 51 प्रति हजार जीवित जन्म पर स्थिर थी, वह वर्ष 2007 से 2011 की अवधि में 41 हजार प्रति हजार जीवित जन्म हो गई। शिशु मृत्यु दर में तीव्र गिरावट के साथ-साथ राज्य की मातृ मृत्यु दर में भी केवल एक वर्ष में 10 प्रतिशत की गिरावट हुई है, जो वर्ष 2010-11 में 310 से घटकर वर्ष 2011-12 में 277 हो गई है।
यद्यपि प्रदेश की नवजात शिशु मृत्यु दर एवं बाल मृत्यु दर में विगत वर्षों में उल्लेखनीय कमी आई है, किन्तु 12वीं पंचवर्षीय योजना के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये अगले 5 वर्ष में प्रतिवर्ष 9.5 प्रतिशत गिरावट लाने की आवश्यकता होगी। इसे प्राप्त करने के लिये राज्य द्वारा सम्पूर्ण स्वास्थ्य सबके लिये की अवधारणा को धुरी बनाकर स्वास्थ्य सेवाओं को समुदाय से अस्पताल तक गुणवत्ता के साथ सुनिश्चित किया जा रहा है। ग्राम आरोग्य केन्द्रों, स्वास्थ्य केन्द्रों एवं परिवहन सुविधा को 24ज्र्7 संचालित किया जा रहा है। ममता एवं आस्था अभियान को प्रभावशाली तरीके से क्रियान्वित कर लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये भी विभाग कृत-संकल्पित है।