नई दिल्ली: मणिपुर में मई महीने की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा छिटपुट रूप से जारी है. हिंसा के लगभग 25 दिनों बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य का दौरा कर लोगों से शांति की अपील की है. इस बीच आदिवासी कुकी समुदाय से आने वाले विधायकों ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को हटाने की मांग की है.ये विधायक विशेष रूप से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के हैं, यहां तक कि राज्य भाजपा सचिव पाओकम हाओकिप ने भी इस मांग का समर्थन किया है.
बीरेन सिंह 2015 में आदिवासियों के विरोध से निपटने को लेकर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के प्रति आलोचनात्मक थे. इस विरोध में नौ लोगों की मौत हो गई थी और उन्होंने (बीरेन सिंह) भाजपा में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ दी थी.
वर्तमान में भाजपा विधायकों रघुमणि सिंह ने मणिपुर रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी के अध्यक्ष पद, पी. ब्रोजेन सिंह ने मणिपुर डेवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष, करम श्याम ने मणिपुर पर्यटन निगम के अध्यक्ष और थिकचोम राधेश्याम मुख्यमंत्री के सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके साथ ही एन. बीरेन सिंह भरोसे की कमी से जूझ रहे हैं.
इस बीच मणिपुर सरकार के अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्यों सहित प्रमुख आदिवासी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हिंसा की एसआईटी जांच की मांग की है. इस हिंसा को उन्होंने कुकी, जोमी, मिजो और हमार जनजातियों का ‘जातीय सफाया’ करार दिया है.