अनिल सिंह (भोपाल )– जिस तरह रायपुर में मोना मंडावी की मौत हुई भोपाल शहर भी उसी खतरे के साए में है,हॉस्टल माफिया ने लड़कियों के हॉस्टल तो बना लिए हैं लेकिन उनकी सुरक्षा की जवाबदारी तय नहीं हुई है।इस शहर में प्रशासन की नींद नहीं खुल रही है प्रशासन अभी भी इसी किसी तरह की घटना के इन्तेजार में है।
आवासीय कालोनियों में चल रहे हैं हॉस्टल
शहर की आवासीय कालोनियों में हॉस्टल संचालित किये जा रहे हैं,नगर निगम से आवासीय अनुमति प्राप्त कर व्यावसायिक होस्टलों का संचालन निर्बाध गति पर जारी है।
रात भर चलती हैं पार्टियाँ और तांडव
इन इलाकों में जहाँ गर्ल्स हॉस्टल होते हैं वहां शाम से ही तरह-तरह के लोगों का जमावड़ा शुरू हो जाता है।यह भी देखने में आया है की लड़कियां देर रात हॉस्टल से चली जाती हैं और सुबह जल्दी इन्हें वापस छोड़ दिया जाता है,रहवासी इलाकों में रहने वाले बच्चे और युवा यह सब देखते हैं और उसी कर्म की ओर प्रवृत होते हैं।
भोपाल प्रशासन भी है हादसे के इन्तजार में
भोपाल के जिम्मेदार अधिकारी भी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे क्योंकि इनमे कई अधिकारीयों के घर भी हॉस्टल संचालित हो रहे है,इनमे से कई होस्टलों में तो सुरक्षा गार्ड भी नहीं हैं।कब कौन आता जाता है किसी किस्म का रिकॉर्ड नहीं रखा जाता।
एक आवासीय हॉस्टल मालिक सजाता है महफ़िलें
एक हॉस्टल के बारे में तो विख्यात है की हॉस्टल मालिक यदि कोई लड़की किराया नहीं चुका पाती तो उसे हॉस्टल से नहीं निकालता है बल्कि ताकीद कर देता है की इसे कोई परेशान न करे और बाद में अपनी मर्जी अनुसार वसूली कर लेता है।यह रहता दूसरे प्रदेश में है लेकिन समय समय पर यहाँ आता रहता है यह जब भी आता है इसकी महफ़िलें यहीं सजती हैं और उसका केयर टेकर तो रोज नशे में धुत्त पाया जाता है।जब यह हॉस्टल मालिक आता है तब यहाँ के थाने के पुलिस कर्मी भी यहाँ हाजिरी बजाते हैं।
कई मकान मालिक चले गए अपने मकान छोड़ कर रह रहे किराये के मकान में
अपने खुद का मकानों की जगह किराये के मकान में रहने को लोग मजबूर हैं क्योंकि अपने किशोर और युवा होते बच्चों को वे इस माहोल में पालना पसंद नहीं कर रहे हैं।