अनिल सिंह-भोपाल में स्थित केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक 2 में पढने वाले विद्यार्थियों ने मानवता का अनुकरणीय उदाहरण समाज के सामने प्रस्तुत किया है.स्कूल में पढने वाला एक बच्चा रोनिश उपाध्याय जो कक्षा 10 में अध्ययनरत है किसी बीमारी की वजह से कोमा की स्थिति में आ गया और अस्पताल में भरती है जब उसके सहपाठियों को यह बात पता चली की कोमा में गए विद्यार्थी के पिता जीवित नहीं हैं तो इन नन्हें जवानों ने इसके परिवार की आर्थिक मदद करने का कठिन बीड़ा उठा लिया.
इस वानर सेना में यह सन्देश फैलता गया और जिससे जो बन पड़ा वह वही पैसे एकत्र करने लगा.किसी ने अपने परिजनों से मदद ली किसी ने अपने जेब-खर्च की बलि दी.
शिक्षकों को जब यह बात पता चली तो उन्होंने भी इन्हें प्रोत्साहित किया और शिक्षकों और कर्मचारियों ने भी अपना योगदान दिया.जब हमने इन नन्हे होनहारों से बात की तब किसी ने भोलेपन से बताया की वे इस महीने चाकलेट नहीं खायेंगे किसी ने अपने प्यारे समोसों का लोभ त्यागा और पैसे उस बालक के परिवार की मदद के लिए दिए.
जब हम वहां पहुंचे तब तक बच्चे 16000 रुपये लगभग जमा कर चुके थे एवं और रुपये जमा करने की चर्चा में थे.इन मासूमों को तो यह भी नहीं पता था की रोनिश के इलाज का खर्च लाखों का है लेकिन ये सेना अपने जोश में एकत्रित पैसों से रोनिश का इलाज करवाने और उसके जल्द वापस कक्षा में आने की चर्चा में मशगूल थी.
मानवता के इस नन्हे एवं जोशीले मासूम प्रयास को हमारा सलाम एवं रोनिश के जल्द स्वस्थ होने की शुभकामनाएं.