नई दिल्ली, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। लोकसभा में सोमवार को सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण अध्यादेश दोबारा पेश करने पर कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) पर विवादित भूमि अधिग्रहण विधेयक को पिछले दरवाजे से पारित कराने के प्रयास का आरोप लगाया।
केंद्रीय संसदीय मामलों के राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूडी द्वारा लोकसभा में भूमि अध्यादेश को पेश करते ही विरोध शुरू हो गया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने तीन अप्रैल को इस अध्यादेश को दोबारा मंजूरी दी थी।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिाकर्जुन खड़गे ने आरोप लगाते हुए कहा, “हमें लगता है कि इस अध्यादेश की जरूरत ही नहीं है, क्योंकि सरकार बार-बार इसे लोगों पर थोपने की कोशिश कर रही है। खासकर इसे दोबारा लाने के लिए राज्यसभा का सत्रावसान तक कर दिया गया।”
शून्य काल में मुद्दा उठाते हुए खड़गे ने कहा, “आप (सरकार) विधेयक को पिछले दरवाजे से पारित कराना चाहते हैं।”
तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक के पूरी तरह खिलाफ है।
विधेयक का विरोध करते हुए कांग्रेस व तृणमूल कांग्रेस ने विधेयक के खिलाफ सदन से बहिर्गमन किया।
इससे पहले, रूडी द्वारा लोकसभा में भूमि अध्यादेश को पेश करते ही विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए नारे लगाने शुरू कर दिए।
विपक्षी सदस्य अध्यक्ष की आसंदी के निकट इकट्ठा हो गए और सरकार से इस अध्यादेश को वापस लेने की मांग करने लगे।
इस बीच, रूडी ने कहा कि लोकसभा में अध्यादेश को पेश करना एक संवैधानिक प्रक्रिया है और विपक्ष राजनीतिक फायदे के लिए मुद्दे को उठा रहा है।
इस मुद्दे पर विपक्ष ने सदन की कार्यवाही को बार-बार बाधित करने का प्रयास किया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने यमन पर अपने भाषण को हंगामे के बीच पूरा किया।
इसके तुरंत बाद, अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन की कार्यवाही एक घंटे से एक अधिक समय के लिए स्थगित कर दिया।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने तीन अप्रैल को इस अध्यादेश को दोबारा मंजूरी दी थी। इससे पहले बीते साल दिसंबर में इस अध्यादेश को जारी किया था।