नई दिल्ली, 4 मई (आईएएनएस)। किसी भारतीय द्वारा माउंट एवेरेस्ट को पहली बार फतह करने की 50वीं वर्षगांठ का उत्सव पारंपरिक रूप से न मनाकर, भारतीय पर्वतारोही दल के जीवित सदस्यों ने नेपाल में भूकंप प्रभावितों की मदद करने का फैसला किया है।
मई 1965 में पहली बार माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले पर्वतारोहियों के दल की अगुवाई करने वाले कैप्टन एम.एस. कोहली ने एक साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया, “सदस्यों ने वर्षगांठ को धूमधाम से मनाने की योजना बनाई थी, लेकिन अब हमने भूकंप पीड़ितों की मदद करने का फैसला किया है।”
कोहली ने बताया कि वर्षगांठ का उत्सव रद्द करने के बजाय हमने उसका नाम बदल कर ‘नेपाल ट्रॉमा फंक्शंस’ रख दिया है। उन्होंने बताया कि नेपाल भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए धन जुटाने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में बैठकें की जाएंगी।
इसके अलावा पर्वतारोही दल के सदस्य भूकंप प्रभावित लोगों की मदद के लिए नेपाल जाने के लिए स्वयंसेवकों का आह्वान करेंगे।
राजवंशी ने बताया, “हमारी टीमें प्रभावित लोगों से मिलकर मानसिक संबल देने की कोशिश करेंगी।”
यह पूछने पर कि क्या 1965 की टीम के सभी सदस्य नेपाल त्रासदी पीड़ितों की मदद की योजना में शामिल होंगे? कोहली ने कहा कि टीम के 19 सदस्यों में से केवल नौ जीवित हैं और उनमें से दो या तीन लोग बहुत वृद्ध हो गए हैं। यह देखना है कि वे यात्रा करने लिए फिट हैं या नहीं।
एवरेस्ट पर हिमस्लन के बाद क्या लोगों को इसकी चोटियों पर जाना बंद कर देना चाहिए? कोहली ने कहा, “हिमस्खलन एक बार होता है, लेकिन वहां आपकी जिंदगी को हमेशा खतरा रहता है।”
उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि 25 अप्रैल को हुए हिमस्खलन का पर्वतारोहियों पर कोई नकारात्मक असर पड़ेगा। ऊंची चोटियों से उनका लगाव बना रहेगा।”
सभी खतरों को जानने के बाद भी लोग ऐसा क्यों करते हैं? कोहली ने कहा, “यह एक एहसास है जो ऊंचाइयों की ओर आकर्षित करता है।”
वापस आने पर आप पूरी तरह बदले इंसान होते हैं।
उन्होंने बताया, “आप नए हो जाते हैं। आपका पूरा अनुभव जादुई होता है। आप शब्दों में इसे बयां नहीं कर सकते।”