नई दिल्ली-सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पिछले साल तपेदिक (टीबी) के लगभग 25,50,000 (2.55 मिलियन) मामले दर्ज किए, जो 60 के दशक में टीबी नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से सबसे अधिक है.
पिछले साल देशभर में 24.2 लाख मामले दर्ज हुए थे. 2023 में दर्ज किए सभी टीबी मामलों में लगभग 32% मामले निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से आईं. 25,50,000 मामलों में से 0.84 लाख निजी क्षेत्र से थीं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 17% की वृद्धि है. 2014 की तुलना में निजी क्षेत्र से आने वाले में तेजी से बढ़ोतरी हुई है- 2013 में 38,596 मामले दर्ज किए गए थे.
पिछले नौ वर्षों में टीबी मामलों में 64% वृद्धि हुई है. वार्षिक आधार पर टीबी के कुल मामलों में सर्वाधिक मरीज उत्तर प्रदेश से दर्ज हुए. यहां पिछले वर्ष की तुलना में 21% उछाल देखा गया, उसके बाद बिहार में 15% वृद्धि देखी गई.
केंद्र ने टीबी उन्मूलन के लिए साल 2025 का लक्ष्य रखा है.
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के टीबी प्रभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. कुलदीप सिंह सचदेवा ने कहा, ‘प्रारंभिक चरणों में रोगियों की संख्या में वृद्धि की उम्मीद है क्योंकि इसका मतलब है कि रोगियों की पहचान की जा रही है और उन्हें उपचार दिया जा रहा है, जो ट्रांसमिशन चक्र को तोड़ने में मदद करेगा. टीबी एक संक्रामक रोग है, इसलिए रोग को फैलने से रोकने के लिए संक्रमण चक्र को तोड़ना महत्वपूर्ण है.’