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 भारत ने किया सबसे वजनी रॉकेट जीएसएलवी-मार्क3 का सफल परीक्षण | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

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भारत ने किया सबसे वजनी रॉकेट जीएसएलवी-मार्क3 का सफल परीक्षण

10850006_10155023541430165_4402874576360599316_nश्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश), 18 दिसम्बर- भारत ने अब तक के अपने सबसे वजनी व नवीनतम पीढ़ी के रॉकेट जीएसएलवी-मार्क3 का गुरुवार को सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह रॉकेट अपने साथ प्रायोगिक क्रू मॉड्यूल भी लेकर गया है, जो मानवरहित है।

भू-स्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान-मार्क3 (जीएसएलवी-मार्क3) का परीक्षण गुरुवार को सुबह 9.30 बजे आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया। 630 टन वजनी और 43.43 मीटर लंबे इस अंतरिक्ष यान ने प्रक्षेपण के कुछ ही सेकंडों में अपने को दूसरे लांच पैड से अलग कर लिया और आकाश में तेजी से उड़ान भरी।

करीब 155 करोड़ रुपये की लागत वाला यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की अंतरिक्ष में यात्रियों को भेजने की योजना का हिस्सा है। यह अपने साथ 3.7 टन वजनी क्रू मॉड्यूल भी लेकर गया है, जिसे क्रू मॉड्यूल एटमॉस्फेरिक री-एंट्री एक्सपेरिमेंट नाम दिया गया है। इसके जरिये अंतरिक्ष से धरती पर लौटने की तकनीक का परीक्षण किया जा रहा है।

इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि इस क्रू मॉड्यूल का आकार एक छोटे से शयनकक्ष के बराबर है, जिसमें दो से तीन व्यक्ति आ सकते हैं।

प्रक्षेपण के पांच मिनट के बाद ही रॉकेट ने कप केक आकार के 3.7 टन वजनी बड़े से क्रू मॉड्यूल को 126 किलोमीटर की ऊंचाई पर अलग कर दिया, जिसके बाद यह तेजी से धरती की ओर आने लगा। इस क्रम में इसकी गति का नियंत्रण इसरो के अधिकारियों ने इसमें लगे मोटर के जरिये किया।

क्रू मॉड्यूल धरती पर अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के करीब बंगाल की खाड़ी में गिरा, जहां से नौसेना के जहाज इसे तमिलनाडु में चेन्नई के नजदीक एन्नोर बंदरगाह पर लाएंगे। इसके बाद इसे केरल में तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र लाया जाएगा।

जीएसएलवी-मार्क3 के सफल परीक्षण के बाद यहां मिशन के नियंत्रण कक्ष में इसरो के वैज्ञानिकों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इसरो के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने बताया, “भारत ने इस रॉकेट का निर्माण एक दशक पहले ही शुरू कर दिया था और आज प्रयोग के तौर पर इसका पहला परीक्षण किया गया। ठोस और तरल इंजनों का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक ही रहा। मानवरहित क्रू मॉड्यूृल बंगाल की खाड़ी में गिरा, जैसी कि उम्मीद थी।”

वहीं, जीएसएलवी-मार्क3 के परियोजना निदेशक एस. सोमनाथ ने कहा, “भारत के पास अब एक नया प्रक्षेपण यान है। भारतीय रॉकेट की वहन क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।”

प्रयोग के तौर पर अंतरिक्ष में भेजे गए इस रॉकेट में वास्तविक क्रायोजेनिक इंजन नहीं है। यह अभी निर्माणाधीन है और इसके बनने में करीब दो साल का वक्त लगेगा। हालांकि रॉकेट की संरचना के व्यावहारिक अध्ययन के लिए इसरो ने इसमें नकली क्रायोजेनिक इंजन लगाया, जो अंतरिक्ष यान को ऊर्जा देने वाले वास्तविक क्रायोजेनिक इंजन की तरह ही है।

श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक एम.वाई.एस. प्रसाद ने आईएएनएस को बताया कि इस नकली क्रायोजेनिक इंजन में भी मास सिमुलेशन के लिए तरल नाइट्रोजन भरा गया है।

भारत ने किया सबसे वजनी रॉकेट जीएसएलवी-मार्क3 का सफल परीक्षण Reviewed by on . श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश), 18 दिसम्बर- भारत ने अब तक के अपने सबसे वजनी व नवीनतम पीढ़ी के रॉकेट जीएसएलवी-मार्क3 का गुरुवार को सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह रॉकेट श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश), 18 दिसम्बर- भारत ने अब तक के अपने सबसे वजनी व नवीनतम पीढ़ी के रॉकेट जीएसएलवी-मार्क3 का गुरुवार को सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह रॉकेट Rating:
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