कोलंबो,19 फरवरी (आईएएनएस)। श्रीलंका में विपक्षी दलों ने भारत के साथ प्रस्तावित आर्थिक और तकनीकी सहयोग समझौता का विरोध किया है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, विपक्षी दलों ने एक बयान में कहा कि आर्थिक और तकनीकी समझौते का कुछ अर्थ तब होगा जब श्रीलंका को आर्थिक या तकनीकी क्षेत्र में भारत से कुछ ऐसा मिल सके जो वह खुद हासिल नहीं कर सकता है। लेकिन, ऐसा प्रतीत होता है कि वर्तमान श्रीलंका सरकार वह सब भारतीयों को सुपुर्द करना चाहती है जो यहां के स्थानीय लोग खुद कर सकते हैं।
विपक्ष की ओर से बयान जारी करने वालों में राष्ट्रपति मैत्रिपला सिरिसेना के दल के भी कुछ सदस्य शामिल हैं।
विपक्ष ने यह भी कहा कि किसी तरह के समझौते को अंजाम देने से पहले यह जरूरी है कि भारत के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौता की कमियां दूर की जाएं। श्रीलंका के निर्यातकों को भारत में नौकरशाही की तरफ से पैदा बाधाओं से मुक्त कराया जाना चाहिए।
विपक्ष ने कहा, “श्रीलंका ने 2014 में भारत से 402 करोड़ 30 लाख डॉलर मूल्य का सामान आयात किया जबकि भारत को यहां से सिर्फ 62 करोड़ 50 लाख डॉलर मूल्य के सामान निर्यात किए गए। मुक्त व्यापार समझौता 15 साल पहले हुआ था, लेकिन अब भी श्रीलंका भारत को सबसे अधिक निर्यात सुपारी का ही करता है।”
विपक्ष ने कहा,”अगर भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता सही ढंग से चलता जैसे चलना चाहिए था तो पड़ोसी के साथ आगे आर्थिक सहयोग बढ़ाने में किसी को भी एतराज नहीं होता। इसके अलावा किसी तरह के द्विपक्षीय मुद्दों पर विचार करने से पहले भारतीय मछुआरों के मसले का हल ढूंढा जाना चाहिए।”
विपक्ष ने श्रीलंकाई व्यापारी समुदाय, पेशेवरों और आम लोगों का आह्वान किया कि वे छलपूर्ण ढंग से हो रहे अर्थव्यवस्था के विदेशीकरण को रोकें। विपक्ष ने साफ कर दिया कि विदेशी निवेश सिर्फ उन्हीं क्षेत्रों में होना चाहिए जिसको विकसित करने की क्षमता श्रीलंका में नहीं है।