वाशिंगटन, 4 फरवरी (आईएएनएस)। भारत और अमेरिका के संबंध पारस्परिक हितों पर आधारित हैं, न कि चीन से मुकाबले के लिए। इसलिए इसे चीन के प्रतिद्वंद्वी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
वाशिंगटन, 4 फरवरी (आईएएनएस)। भारत और अमेरिका के संबंध पारस्परिक हितों पर आधारित हैं, न कि चीन से मुकाबले के लिए। इसलिए इसे चीन के प्रतिद्वंद्वी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
व्हाइट हाउस में दक्षिण एशियाई मामलों के वरिष्ठ अधिकारी फिल रेनर ने राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे को लेकर मंगलवार को विदेशी मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “मैं जोर देकर कहना चाहता हूं कि यह अमेरिका-भारत का प्रयास है, इसमें किसी के मुकाबले की बात नहीं है।”
उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि अमेरिका या भारत की किसी भी तरह के मुकाबले में कोई रुचि है या दोनों देशों की रुचि चीन को रोकने में है। यह उनकी इच्छा नहीं है। उनकी इच्छा साथ मिलकर काम करने की है।”
रेनर ने कहा, “हम वास्तव में यही करने के इच्छुक हैं। मैं इस मुद्दे को चीन का मुकाबला करने के रूप में अनावश्यक रूप से आगे नहीं बढ़ाऊंगा।”
रेनर ने ‘न्यूयार्क टाइम्स’ की उस रिपोर्ट को भी खारिज किया, जिसमें कहा गया था कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओबामा ने मुलाकात के बाद जिस मुद्दे पर सबसे पहले बात की थी वह चीन से जुड़ा था। उन्होंने कहा, “ऐसे कई मुद्दे थे, जिन पर हमने बात की।”
इधर, उन्होंने पाकिस्तान को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि ओबामा और मोदी ने क्षेत्र से जुड़े मुद्दे पर लगातार बात की है और बेशक इसमें पाकिस्तान व अफगानिस्तान का मुद्दा भी शामिल है।
उन्होंने पाकिस्तान की उस आलोचना को भी खारिज किया है जिसमें उसने कहा कि भारत-अमेरिका परमाणु संधि क्षेत्र में सामरिक स्थिरता को बिगाड़ेगा। रेनर ने बताया कि इस संधि पर सालों पहले समझौता हो गया था।