इस्लामाबाद, 12 जून (आईएएनएस)। पाकिस्तान को भारत के साथ सोच-विचार कर, ठंडे दिमाग से तथा परिपक्व तरीके से निपटना होगा, क्योंकि मौजूदा वक्त में भारत की जो स्थिति है, उस स्थिति में इस्लामाबाद को पहले की अपेक्षा कहीं अधिक विश्व की तीखी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ सकता। यह बात शुक्रवार को एक दैनिक ने कही।
‘डेली टाइम्स’ ने अपने संपादकीय ‘डेन्जरस एस्केलेशन’ में कहा है कि पाकिस्तान और भारत दोनों ने एकबार फिर एक-दूसरे के खिलाफ उकसाहट भरे बयान शुरू कर दिए।
संपादकीय के अनुसार, “दोनों तरफ से जैसे को तैसा वाले बयान और कार्रवाई से ऐसा लगता है कि यह भारतीय रक्षा मंत्री के आतंकवाद का आतंकवाद से सामना करने को लेकर दिए गए बयान से शुरू हुआ है।”
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा पर ढाका में उनके घमंड भरे रुख ने पुराने घाव को हरा कर दिया, जिसमें उन्होंने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान मुक्ति बाहिनी की लड़ाई में मदद करने में अपने सैनिकों की भूमिका का जिक्र किया था।”
अखबार कहता है कि भारतीय प्रधानमंत्री ने म्यांमार में भारतीय सेना की कार्रवाई को 20 जवानों की घात लगाकर की गई हत्या के बदले की गई प्रतिक्रिया करार दिया, जो कि पाकिस्तान तथा अन्य देश को यह संदेश है कि भारत अपने खिलाफ हुए आतंकवाद का बदला लेते वक्त समय और स्थान का चुनाव खुद करेगा।
संपादकीय कहता है कि पाकिस्तान के असैन्य और सैन्य नेतृत्व ने भारत को किसी भी तरह की अप्रिय घटना को लेकर आगाह किया है।
संपादकीय के अनुसार, पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और भारतीय मानते हैं कि नवाज शरीफ के साथ उनकी मुलाकात के बाद कारगिल का युद्ध धोखा था और इसने ही संभवत: पाकिस्तान से दोबारा मेलजोल करने के रुख में बदलाव किया है।
संपादकीय कहता है कि जिस तरह की प्रतिक्रिया इस्लामाबाद ने दी है और भारत को उकसाया है, उससे सिर्फ ज्यादा से ज्यादा युद्ध की स्थिति पैदा होगी।
संपादकीय के मुताबिक, “संभवत: सबसे उचित प्रतिक्रिया सोच-विचार कर ठंडे दिमाग से भारत के उकसाहट का जवाब देना होता।”