भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 20 से 22 अक्टूबर तक मास्को की यात्रा कर रहे हैं। इस यात्रा के दौरान रूस और भारत के नेताओं के बीच 14-वीं शिखर बैठक होगी। इस यात्रा की पूर्ववेला पर रूस में भारत के राजदूत श्री अजय मल्होत्रा ने “रेडियो रूस” की विशेष संवाददाता नतालिया बेन्यूख को एक साक्षात्कार दिया।
रूस और भारत का विश्वास है कि वाणिज्यिक एवं आर्थिक सहयोग के विकास का दोनों देशों के लिए काफी बड़ा महत्व है। मास्को में4अक्टूबर को हुई व्यापारिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, प्रौद्योगिक और सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की एक बैठक के दौरान इस सवाल पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया था। इस बैठक के परिणामों का क्या मतलब है?
हमारे नेता भारत और रूस के बीच व्यापारिक और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के कार्यों को अपनी एक प्रमुख प्राथमिकता मानते हैं। 4 अक्तूबर को मास्को में आयोजित व्यापारिक, आर्थिक, वैज्ञानिक,प्रौद्योगिक और सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की बैठक में हमने व्यापार और निवेश के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की थी। इस आयोग में बारह से अधिक संयुक्त कार्यकारी समूह और चार उप-समूह शामिल हैं जो हमारे आर्थिक सहयोग के व्यापार,निवेश,आधुनिकीकरण,नागरिक उड्डयन,उर्वरक,खनन,दूरसंचार,वित्तीय मामलों,संस्कृति और पर्यटन जैसे सभी पहलुओं का ख़याल रखते हैं। भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग के पिछले सत्र से पहले संबंधित संयुक्त कार्य-समूह तथा उप-समूहों की बैठकें हुई थीं जिनके निष्कर्षों के आधार पर आयोग की बैठक में सभी क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देने की संभावनाओं पर चर्चा की गई थी। हमने पहली बार एक निवेश प्राथमिकता परियोजना कार्य समूह का गठन किया है जिसकी बैठकों के दौरान हमने दिल्ली-मुम्बई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर जैसी आपसी हितों की कुछ परियोजनाओं को निर्धारित किया है। बहुत जल्द ही इस कार्यदल की दूसरी बैठक नई दिल्ली में होगी और हमें कुछ परियोजनाओं के संबंध में अच्छे परिणाम निकलने की उम्मीद है। आयोग की बैठक में इस बात का उल्लेख किया गया है कि वर्तमान विश्व आर्थिक स्थिति के बावजूद हमारे द्विपक्षीय व्यापार में 24.5प्रतिशतकी वृद्धि हुई है। यह व्यापार सन् 2011में8.85 अरब डॉलर से बढ़कर वर्ष 2012 में 11.04डॉलर का हो गया था। हमने हमारी कुछ कंपनियों के बीच उत्पन्न अहम मुद्दों के परस्पर रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए चर्चा की है।
हमारे द्विपक्षीय संबंधों के किन-किन क्षेत्रों में रूस के साथ भारत की विशेषाधिकार-सम्पन्न सामरिक साझेदारी का स्पष्ट रूप से प्रकटाव होता है?
आजकल कई देशों के द्वारा अपने संबंधों का वर्णन करने के लिए ‘सामरिक साझेदारी’ शब्द का बहुत लापरवाही से उपयोग किया जाता है। लेकिन भारत-रूस संबंधों के बारे में इन शब्दों के बहुत गहरे और विशेष अर्थ हैं। हमारे संबंध अद्वितीय और बहुआयामी हैं और वे एक दूसरे की सामरिक,रक्षा और अन्य ज़रूरतों के प्रति असाधारण सद्भावना दर्शाते हैं। हमारे हित एक लंबे समय से एक दूसरे से मेल खाते हैं और न भारत और न ही रूस को एक दूसरे से कोई ख़तरा है। इसके बजाय, वे एक दूसरे की राजनीतिक और आर्थिक शक्ति बढ़ने में अपना लाभ ही देखते हैं। हमारे दोनों के बीच घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं और इन पर भारत और रूस की अंदरूनी दलगत नीतियों का कोई असर नहीं होता है।
रूस परमाणु ऊर्जा,रक्षा,अंतरिक्ष अनुसंधान और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग के लिए भारत का सबसे बड़ा साझेदार है। यहां तक कि हमने तेल एवं प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में सबसे बड़ा विदेशी निवेश रूस में ही किया है।
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