नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत ने मंगलवार को अफ्रीकी नेताओं के सामने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग उठाई। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत और अफ्रीका को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ‘यथोचित स्थान’ से ज्यादा समय तक अलग नहीं रखा जा सकता।
सुषमा ने यहां तीसरे भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन की मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान कहा कि जब तक वैश्विक प्रशासन की संरचना अधिक लोकतांत्रिक नहीं होती, तब तक एक अधिक न्यायसंगत अतंर्राष्ट्रीय सुरक्षा एवं विकास की रूपरेखा से विश्व मरहूम रहेगा।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा का 70वां सत्र लंबे समय से लंबित पड़े इस विषय पर ठोस नतीजे प्राप्त करने का उपयुक्त अवसर है। उन्होंने कहा कि विश्व में सामूहिक शांति और समृद्धि के लिए अधिक लोकतांत्रिक वैश्विक संरचना बेहद जरूरी है।
उन्होंने कहा, “हम उस शासकीय ढांचे से विधिसंगत कार्रवाई की उम्मीद कैसे कर सकते हैं, जिससे पूरा अफ्रीकी महाद्वीप और एक देश जो दुनिया की कुल आबादी के एक बटा छठे हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है, को बाहर रखा गया है।”
सुषमा ने कहा कि भारत सैम कुटेसा के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र के दौरान सुरक्षा परिषद सुधार के लिए हुई प्रगति और हासिल उपलब्धियों का स्वागत करता है।
सुषमा ने कहा, “हम एक सतत प्रक्रिया के जरिए इसे आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं।”
सुषमा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में अब तक 1,80,000 से अधिक भारतीय सैनिक भाग ले चुके हैं, जो किसी अन्य देश की तुलना में अधिक हैं।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और अफ्रीकी देश आतंकवाद से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीमापार आतंकवाद आज नए आयाम ग्रहण कर चुका है।
सुषमा ने कहा कि ‘नॉन स्टेट एक्टर्स’ (ऐसे आतंकवादी जिनसे संबंध होने का उनके देश की सरकार इंकार करती है) से निपटने की चुनौती बहुत बड़ी बन चुकी है।
सुषमा ने कहा, “हमारे सभी देश आतंकवाद के बढ़ते नासूर का सामना कर रहे हैं। नॉन स्टेट एक्र्ट्स और सीमापार आतंकवाद ने नए आयाम ग्रहण कर लिए हैं। यह बहुत बड़ी चुनौती है। यह हमारे देशों के विकास के लिए जरूरी शांति और स्थायित्व पर विपरीत असर डाल रही है।”
भारत ने बीते सप्ताह पाकिस्तान पर आतंकवाद को सरकारी नीति का एक औजार के रूप में प्रयोग करने का आरोप लगाया था। भारत ने कहा था कि “अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित और समर्थित आंतकवाद को लेकर बेहद चिंतित है।”
अफ्रीका में भी कुछ देश आंतरिक और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की हिंसा के शिकार हैं।
सुषमा ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान के स्तर पर सहयोग को बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ संधि बनाने पर भी जोर दिया।
सुषमा ने कहा कि भारत और अफ्रीका के बीच कृषि, आधारभूत ढांचे, शिक्षा, कौशल विकास, ऊर्जा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में भी सहयोग की काफी गुंजाइश है।
उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण की दिशा में काम करने के मामले में भी भारत और अफ्रीका प्रतिबद्ध हैं।
सुषमा ने कहा कि भारत और अफ्रीकी देशों के बीच सहयोग का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र लोगों तक उत्कृष्ट और सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं और दवाओं को पहुंचाना है।
सुषमा ने कहा कि बीते कई सालों से इबोला और एचआईवी/एड्स जैसी बीमारियों से मुकाबले के लिए अफ्रीका को दिए जा रहे अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में भारत की सक्रिय भागीदारी रही है।
उन्होंने कहा कि पूरे अफ्रीका में फैले ई-नेटवर्क के जरिए भारत और अफ्रीका के कई सुपर स्पेशलिटी अस्पताल एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
सुषमा ने बताया कि अफ्रीका में भारतीय कंपनियों का निवेश लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार के मुद्दों पर भारत और अफ्रीका के घनिष्ठ सहयोग बना हुआ है।
भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन का मंगलवार को दूसरा दिन था। गुरुवार को शिखर सम्मेलन में 40 अफ्रीकी देशों के राष्ट्र प्रमुख हिस्सा लेंगे।