भारतीय नौसेना में समुद्र की निगरानी करने के लिए एक नया समुद्री गश्ती युद्धपोत आईएनएस सुमित्रा शामिल किया गया है।
अपनी तरह के युद्धपोतों के बीच भारतीय नौसेना में यह सबसे बड़ा युद्धपोत है। भारत की नौसेना में पहले ही ऐसे तीन गश्ती युद्धपोत शामिल हैं, जिनके नाम हैं – आइएनएस सरयू, आईएनएस सुनयना और आइएनएस सुमेधा।
भारत में ही निर्मित इस सीरीज के आधुनिकतम युद्धपोत सम्पर्क और नियन्त्रण की नवीनतम संचार संसाधनों व नवीनतम हथियारों से लैस हैं। ये युद्धपोत 25 समुद्री मील प्रतिघण्टे की रफ़्तार से चल सकते हैं और 6 हज़ार समुद्री मील के घेरे में गश्त लगा सकते हैं। रूस के रणनीति और तकनीक विश्लेषण केन्द्र के एक विशेषज्ञ आन्द्रेय फ़्रालोफ़ ने कहा :
किसी भी देश की नौसेना को तटवर्ती गश्ती युद्धपोत की किसी पर हमला करने के लिए नहीं, बल्कि अपने आर्थिक हितों की सुरक्षा करने के लिए ज़रूरत होती है। समुद्री दस्युओं से लड़ने, ग़ैरकानूनी रूप से देश में घुसने की कोशिश करने वाले आप्रवासियों को रोकने तथा समुद्र में ग़ैरकानूनी रूप से मछली पकड़ने वालों को रोकने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है। आम तौर पर इस तरह के पोतों में हमलावर हथियार नहीं लगे होते हैं। लेकिन ये पोत बड़ी तेज़ गति से चलते हैं और बड़े सक्रिय होते हैं। इस तरह के पोतों पर एक हैलिकॉप्टर भी तैनात रहता है और पोत से उड़ान भरकर वह समुद्र में दूर-दूर तक निगरानी करता है और जाँच दलों को लाता-ले जाता है। भारत के आर्थिक क्षेत्रों की प्रभावशाली ढंग से सुरक्षा करने के लिए भारत के पास, जिसकी समुद्री सीमाएँ बहुत लम्बी हैं, इस तरह के गश्ती पोतों का होना बहुत ज़रूरी है।
भारत की युद्धपोत बनाने वाली कम्पनी गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति में बताया गया है कि यह पोत समुद्री संचार लाइनों की निगरानी करने, समुद्र में बने तेल के कुओं की सुरक्षा करने तथा अन्य तटवर्ती भारतीय सम्पत्ति की देखरेख और पहरेदारी करने के लिहाज से डिजाइन किया गया है।
विज्ञप्ति में बताई गई एक और बात भी ध्यान आकर्षित करती है कि आईएनएस सरयू जैसे बड़े गश्ती युद्धपोतों का इस्तेमाल विशेष पोतों की सुरक्षा के लिए और नौसैनिक बेड़े की विभिन्न गतिविधियों में सहायता करने के लिए भी किया जा सकता है। विशेष पोतों का मतलब यहाँ महंगा माल लाने-ले जाने वाले मालवाहक पोतों और टैंकरों से है, जो गैस, तेल और अन्य महंगा कच्चा माल उत्तरी ध्रुव के इलाके से या सखालिन के तेल व गैस के कुओं से भारत के बन्दरगाहों पर पहुँचाते हैं।
भारत इस तरह के मालवाहक पोतों और टैंकरों के काफ़िले की सुरक्षा जहाज़रानी के पूरे रास्ते में करना चाहता है। भारत और रूस द्वारा ’इन्द्र-2014’ के नाम से किए गए सँयुक्त सैन्य अभ्यास के दौरान भी इस तरह की कार्रवाइयों का अभ्यास किया गया। भारतीय नौसेना में ऐसे गश्ती युद्धपोतों की संख्या जल्दी ही बढ़कर और ज़्यादा हो जाएगी। गोवा शिपयार्ड लिमिटेड की गोदियों में दो और ऐसे ही युद्धपोतों का निर्माण किया जा रहा है।