इस प्रदर्शनी के प्रति लोगों ने खासी दिलचस्पी दिखाई और यह कई संभावित भावी छात्रों को आकर्षित करने में सफल रही- ऐसा प्रोफ़ेसर सैयद कम्रुज्ज़मन का कहना है, वह प्रदर्शनी की आयोजक कंपनी ‘रूस एजूकेशन’ के मैनेजमेंट के एक सदस्य हैं| सैयद कम्रुज्ज़मन कहते हैं:
यह हमारी कंपनी द्वारा आयोजित दसवीं प्रदर्शनी थी| हम भारत में स्थित रूसी विज्ञान एवं संस्कृति केन्द्रों के आधार पर संस्था ‘रूस सहयोग’ के साथ मिलकर काम करते हैं| वर्ष 2013 में ‘रूस एजूकेशन’ के तहत फीस भर कर पढाई करने के लिये 500 भारतीय छात्र रूस आये थे| पिछले साल भारत से कुल 1000 छात्र रूस आये थे| हमारा उन छात्रों के साथ संपर्क बना हुआ है और हमें यह पता है कि वह छात्र रूस में अपनी पढाई और जीवन को लेकर काफी खुश हैं| इस साल हमारी प्रदर्शनी में पिछले वर्षों की तुलना में कहीं अधिक लोगों ने शिरकत की| चेन्नई, दिल्ली और कोलकता में कुछ भावी छात्रों ने अपना विश्वविद्यालय, विभाग आदि चुन कर प्रवेश के लिये आवेदन पत्र तक भर दिए हैं|
त्वेर चिकित्सा अकादमी, कज़ान चिकित्सा विश्वविद्यालय, अरेंबुर्ग चिकित्सा अकादमी, तोम्स्क इन्जीनियरिंग कालेज, कुबान तकनीकी विश्वविद्यालय आदि कुछ ऐसे शिक्षा संस्थान हैं, जिन्होंने भारत में एक किस्म से अपने संस्थानों के लिये खुले द्वार दिवस आयोजित किये| मॉस्को के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय अनुसंधान विश्वविद्यालय ‘अर्थशास्त्र उच्च संस्थान’ ने भारत में पहली बार इस प्रदर्शनी में अपने संस्थान की संभावनाओं, प्रशिक्षण कार्यक्रमों आदि को प्रस्तुत किया|
आइये सैयद कम्रुज्ज़मन से सुनें कि भारत के छात्र रूस आकर किन विषयों का अध्ययन करने को प्राथमिकता देते हैं| वह बताते हैं:
सबसे अधिक भारतीय छात्र रूस चिकित्सा संस्थानों में पढाई करने के लिये आते हैं| सैयद कम्रुज्ज़मन ने स्वयं भी त्वेर चिकित्सा अकादमी से शिक्षा प्राप्त की है और आज वह वहाँ पर एक प्रोफ़ेसर की तरह कार्यरत हैं तथा ‘रूस एजूकेशन’ के साथ भी काम करते हैं| उनका कहना है कि रूसी उच्च शिक्षा संस्थानों की फीस और उनमें प्रशिक्षण का स्तर भारतीय परिवारों को उनकी तरफ आकर्षित करता है| उदाहरण के तौर पर रूसी चिकित्सा विश्वविद्यालय में एक साल की फीस, आवास का किराया तथा खेलकूद का खर्च आदि मिलाकर औसतन कुछ छह हज़ार डालर आता है|
प्रोफ़ेसर कम्रुज्ज़मन बताते हैं कि भारतीय आवेदकों को यह बात बिलकुल भी परेशान नहीं करती है कि रूस में पढाई खत्म करने बे बाद भी उन्हें भारत में लाइसेंस प्राप्त करने के लिये एक इम्तेहान देना पड़ेगा| लगभग सभी छात्र यह इम्तेहान सफलतापूर्वक देते हैं और भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने का लाइसेंस प्राप्त करते हैं|
इंजीनियरिंग कालेजों में पढाई करने के लिये भी छात्र भारत से रूस आते हैं| तकनीकी के क्षेत्र में तेल और गैस उद्योग तथा विमान निर्माण की दिशाएं बहुत लोकप्रिय हैं| ‘रूस में शिक्षा-2014’ प्रदर्शनी जून महीने में मुम्बई, अहमदाबाद, लखनऊ, सूरत तथा कुछ अन्य शहरों में भी आयोजित की जाएगी|
रूसी उच्च शिक्षा संस्थानों में भारतीय छात्रों की संख्या में तब उल्लेखनीय वृद्धि आयेगी, जब भारत और रूस एक दूसरे की डिग्रियों को मान्यता देने लगेंगे| इस सिलसिले में दस्तावेज़ तैयार किया जा चुका है, जो अभी दोनों पक्षों के बीच अंतिम समझौता होने की प्रतीक्षा में है|