कोलकाता, 28 मई (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव में झटका मिलने के बाद पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए इससे बुरी खबर और क्या हो सकती है कि पार्टी के कम से कम चार विधायक और कई नगरपालिका पार्षद मंगलवार दोपहर भाजपा में शामिल होने के लिए तैयार हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता मुकुल रॉय के बेटे सुभ्रांशु रॉय की अगुवाई में बड़ी संख्या में विधायक और पार्षद दिल्ली पहुंचे हैं, जहां अमित शाह की मौजूदगी में उन्हें भाजपा की सदस्यता दिलाई जाएगी। सुभ्रांशु को तृणमूल ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए छह साल के लिए निलंबित कर दिया था।
भाजपा सूत्रों ने बताया कि सुभ्रांशु के साथ हालीशहर के करीब 18 पार्षद, नैहाटी के 17 और कांचड़ापारा क्षेत्र के 14 पार्षद हैं।
इन नेताओं के पार्टी के प्रति निष्ठा बदलने से तृणमूल तीनों नगरपालिकाओं पर नियंत्रण खो सकती है।
मुकुल रॉय ने दिल्ली में दावा किया कि भगवा पार्टी का निकट भविष्य में 60 नगर पालिकाओं पर नियंत्रण हो सकता है।
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि अगले दो-तीन महीनों में भाजपा राज्य में 55-60 नगर पालिकाओं पर नियंत्रण हासिल कर लेगी।”
पार्षदों के अलावा, दो विधायक -गंगारामपुर के गौतम दास और बिष्णुपुर के तुषारकांति भट्टाचार्य- जो पहले तृणमूल में शामिल हो गए थे, उनके भी भगवा खेमे में जाने की संभावना है।
पहले ही दिल्ली पहुंच चुके भट्टाचार्य ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, “मैंने सुना है कि करीब चार विधायक आज भाजपा में शामिल हो रहे हैं।”
भाजपा के नवनिर्वाचित बैरकपुर के सांसद अर्जुन सिंह, जिन्होंने निर्वाचन क्षेत्र से टिकट से वंचित होने के बाद तृणमूल छोड़ दिया था, ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने इस घटनाक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
माना जा रहा है कि सिंह के रिश्तेदार व नोआपाड़ा से तृणमूल विधायक सुनील सिंह भी दिल्ली की यात्रा पर हैं और वह भी भाजपा में शामिल होंगे।
भाजपा सूत्रों ने दावा किया कि हेमताबाद से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के विधायक देवेंद्र नाथ रॉय भी भाजपा में शामिल होंगे।
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शाह और अन्य भाजपा नेताओं ने दावा किया था कि आम चुनाव खत्म होते ही तृणमूल के लगभग 100 विधायक भाजपा में शामिल हो सकते हैं। मोदी ने यहां तक कहा था कि तृणमूल के 40 विधायक उनके संपर्क में हैं।
भाजपा ने शानदार प्रदर्शन के साथ राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 18 सीटों पर कब्जा कर लिया।
जबकि 2014 में 34 सीटें हासिल करने वाली तृणमूल इस बार 22 सीटों पर सिमट गई।