लखनऊ, 12 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार विधानसभा चुनाव में चोट खाई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का ध्यान अब उत्तर प्रदेश में अपनी स्थिति करने पर है। पार्टी को नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पिछड़ा वर्ग के एक ऐसे नेता की तलाश है, जो पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के कद का हो। केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को लगता है कि बिहार में उसके पास पिछड़ा वर्ग का कोई ऐसा कद्दावर नेता नहीं था, पराजय इस कारण हुई।
लखनऊ, 12 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार विधानसभा चुनाव में चोट खाई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का ध्यान अब उत्तर प्रदेश में अपनी स्थिति करने पर है। पार्टी को नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पिछड़ा वर्ग के एक ऐसे नेता की तलाश है, जो पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के कद का हो। केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को लगता है कि बिहार में उसके पास पिछड़ा वर्ग का कोई ऐसा कद्दावर नेता नहीं था, पराजय इस कारण हुई।
भाजपा उप्र में पार्टी एक ऐसा प्रदेश अध्यक्ष ढूंढ़ रही है, जो पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के कद का हो और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती व समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख मुलायम सिंह यादव को आक्रामक तरीके से जवाब दे सके।
भाजपा सूत्रों की मानें तो नवंबर में ही नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन हो जाएगा, क्योंकि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी का कार्यकाल दिसंबर में समाप्त हाने जा रहा है। नए प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कुछ नए नाम सामने आ रहे हैं।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, “बिहार चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद पार्टी उप्र में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। नए प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान बहुत जल्द हो जाएगा। उम्मीद है कि पार्टी पिछड़े वर्ग के किसी चेहरे को उप्र की कमान सौंप सकती है।”
उन्होंने बताया कि पार्टी को एक ऐसा नेता चाहिए जो पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के कद का हो और वह मायावती और मुलायम के हमलों का आक्रामक तरीके से जवाब दे सके। ऐसे नेता की तलाश तेज हो गई है।
भाजपा के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, उप्र में प्रदेश अध्यक्ष के लिए जो नए नाम चर्चा में हैं, उनमें भाजपा के उप्र महामंत्री स्वतंत्र देव सिंह, धर्मपाल सिंह और मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री रामशंकर कठेरिया भी शामिल हैं।
पिछले कुछ दिनों के भीतर भाजपा के कड़े तेवर वाले नेता विनय कटियार का नाम भी तेजी से उभरा है। माना जा रहा है कि विरोधियों के तीखे हमलों का करारा जवाब देने में कटियार ही सक्षम हैं। लिहाजा, उन्हें उप्र की कमान सौंपी जा सकती है।
भाजपा के एक नेता ने बताया, “विनय कटियार की ताजपोशी नए प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर हो सकती है..यह तय है कि अगला अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग का ही होगा।”
पार्टी सूत्रों का हालांकि यह भी मानना है कि भाजपा यदि किसी सवर्ण नेता को पार्टी का नया अध्यक्ष बनाती है तो ऐसी स्थिति में लक्ष्मीकांत वाजपेयी की वापसी हो सकती है। इसकी वजह यह है कि वाजपेयी को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का विश्वासपात्र माना जाता है।
नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हरीश श्रीवास्तव कहते हैं, “भाजपा में नए अध्यक्ष के चुनाव की एक प्रक्रिया होती है और उसी के तहत सब तय होता है। जहां तक कल्याण सिंह के कद के किसी नेता को आगे लाने की बात है, तो पार्टी में लीडरशिप की एक लंबी श्रृंखला है। चुनाव की स्वाभाविक प्रक्रिया के बाद कमान किसी को भी सौंपी जा सकती है।”