यहां भीतर के भय का तात्पर्य ऊंचाई से भय, कीड़ों या पानी के भय से है। यह जानवरों और मनुष्यों में मौजूद एक आम प्रवृत्ति है, लेकिन अपने चरम पर पहुंचने पर यह प्रवृत्ति चिंता और मानसिक रोग का कारण बन सकती है।
चाइनीज एकेडमी साइंसेज से संबद्ध वैज्ञानिक दुआन शुमिन कहते हैं, “न्यूरॉन्स के कियातंत्र को समझने से भय संबंधित विकारों के इलाज में महत्वपूर्ण सहायता मिल सकती है।”
इस शोध में वैज्ञानिकों ने चूहों पर अध्ययन किया। पहले उन्होंने चूहों को शिकारियों का मल सुंघाया। इस दौरान उन्होंने चूहों की गतिविधियां, दिल की धड़कन और डर संबंधी प्रतिक्रियाओं का जायजा लिया।
सोमैटोस्टेटिन पॉजीटिव न्यूरॉन और पार्वलब्लमिन (पीवी) पॉजीटिव न्यूरॉन का भय के साथ क्या संबंध होता है, वैज्ञानिकों ने इसका भी अध्ययन किया।
वैज्ञानिक वैंग हाओ के अनुसार, “हमने देखा कि पीवी न्यूरॉन के सक्रिय होने के बाद चूहों में निर्भीकता पाई गई। वे बिना डरे सामान्य व्यवहार कर रहे थे। ठीक यही स्थिति सोमैटोस्टेटिन पॉजीटिव न्यूरॉन की सक्रियता के दौरान भी देखी गई।”
वैंग के अनुसार, “ये न्यूरॉन्स भय वाले बटन की तरह हैं। जो चूहों में बिना मल सुंघाए भी डर पैदा कर सकते हैं और उसे दूर कर सकते हैं।”
यह अध्ययन पत्रिका ‘नेचर न्यूरोसाइंस’ में प्रकाशित किया गया है।