पानीपत। भगवान का बनने में जो सुख व खुशी मिलती वह विश्व की कोई भी वस्तु को प्राप्त करने में नहीं हो सकती है। भगवान तो सुख व शांति का सागर है। जो उसके आगे अपना सब न्यौछावर करता है तो भगवान भी उसके सारी कामनाएं पूरी कर देते हैं। यह बात शिवाजी स्टेडियम में आयोजित अलविदा तनाव शिविर के नौवें दिन साधकों को संबोधित करते हुए तनाव मुक्ति विशेषज्ञा पूनम ने कही।
उन्होंने कहा कि सभी साधक मन से कहो कि भगवान सब कुछ आपका है, तो वह शिव भोलानाथ नाम के साथ-साथ वास्तव में भोला ही है। उन्हें हमारा कुछ नहीं चाहिए।
बस वह तो हमारी भावना को देखता है और उसी में खुश होकर सर्व खजानों से हमें भरपूर कर देता है। उन्होंने कहा कि हम सभी के तीन पिता हैं। एक लौकिक (जो शरीर का पिता), दूसरा अलौकिक ब्रंा व तीसरा तीनों लोको के नाथ सभी मनुष्यात्मओं के परमपिता शिव परमात्मा। शिव ही देवों के देव महादेव कहलाते हैं। शिव ही निराकार है जिनका कोई पिता नहीं एक वही पिता परमपिता हैं।
शिविर में साधकों का अलौकिक जन्मोत्सव मनाया गया। ब्रहम वत्सों को देवी-देवताओं की पोशाक पहना कर उनसे शिविर में फूलों की बारिश कराई गई। शिवाजी स्टेडियम में चारों ओर आलौकिक खुशी की लहर फैल गई। शिविर में आए प्रभुजनों से उन्होंने कहा कि आज से महसूस करना कि ईश्वर के सभी खजानों पर हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। भगवान की मूर्ति के पास जाकर कभी मांगना नहीं बल्कि अधिकार से बोलना है।