नई दिल्ली, 7 जून (आईएएनएस)। भारत द्वारा अपने प्रवासी समुदाय के लिए किए गए प्रयासों से प्रभावित होकर ब्रिटेन में रह रहे श्रीलंकाई तमिलों ने एकजुट होकर कोलंबो से ‘श्रीलंकाई लोगों के लिए प्रवासी मंत्रालय’ बनाने की मांग की है।
नई दिल्ली, 7 जून (आईएएनएस)। भारत द्वारा अपने प्रवासी समुदाय के लिए किए गए प्रयासों से प्रभावित होकर ब्रिटेन में रह रहे श्रीलंकाई तमिलों ने एकजुट होकर कोलंबो से ‘श्रीलंकाई लोगों के लिए प्रवासी मंत्रालय’ बनाने की मांग की है।
नवगठित संगठन नॉन रेजीडेंट्स तमिल्स ऑफ श्रीलंका (एनआरटीएसएल) ने विदेशों में रह रहे भारतीय नागरिकों की तरह श्रीलंकाई मूल के बच्चों के लिए विशेष दर्जे की मांग की है।
एनआरटीएसएल ब्रिटेन में हाल ही में गठित किया गया एक तमिल समूह है। ब्रिटेन में 300,000 से अधिक तमिल रहते हैं। यहां पर कभी लिट्टे समर्थक भावनाएं उफान पर थीं।
समूह के एक वरिष्ठ सदस्य ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर आईएएनएस से कहा, “हमें अपने समुदाय के लिए एक नए समूह की जरूरत महसूस हुई, क्योंकि मौजूदा समय में प्रवासी सक्रियता नए आयाम पर है।”
उन्होंने कहा, “भारत ने अपने प्रवासियों के लिए जो किया है और भारत के प्रवासियों ने जो कुछ हासिल किया है उससे हम प्रभावित हैं।”
एनआरटीएसएल से जुड़े कई लोग विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी पेशेवर हैं। उन्होंने कई ब्रिटिश और श्रीलंका के राजनीतिज्ञों से बातचीत की है और अपनी बात रखी है।
श्रीलंका के लोगों के लिए प्रवासी मंत्रालय की स्थापना के अलावा यह समूह गैर श्रीलंकाई नागरिकों से जुड़ने के लिए प्रवासी श्रीलंका विभाग की मांग कर रहा है।
तमिल सूत्र ने कहा, “हम प्रवासी भारतीय संगठनों की रचनात्मक भूमिका तथा प्रवासी संसाधनों के दोहन के लिए भारत सरकार की संस्थागत प्रक्रिया और प्रबंधन से प्रेरित हैं।”
एनआरटीएसएल के संस्थापक सदस्यों को लगता है कि तमिल और सिंहला समुदायों के चरमपंथियों का बर्ताव ‘तमिल प्रवासियों’ के लिए एक बहुत बड़ा कलंक है।
उनका कहना है कि तमिल प्रवासियों और श्रीलंका की सरकार के बीच सकारात्मक गठजोड़ में रुकावट पैदा करने वाला यह एक प्रमुख कारण है। श्रीलंका में सिंहला समुदाय के लोगों का वर्चस्व है।
कई सालों तक जब तमिल समुदाय अलग तमिल देश के लिए लड़ाई लड़ रहा था, उस दौरान लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम ने प्रवासियों को अपने आगे झुकने पर मजबूर कर दिया था।
मई 2009 में लिट्टे के खात्मे के बाद ब्रिटेन सहित प्रवासी समुदाय में विस्तार हुआ।
लेकिन पिछले कुछ सालों में ज्यादातर श्रीलंकाई नागरिक खास तौर पर सिंहलाओं ने तमिल प्रवासियों को लिट्टे समर्थक राजनीति के फैलाव के रूप में देखना शुरू कर दिया।
तमिल सूत्र ने आईएएनएस से कहा, “हमें लगता है कि ‘श्रीलंका सरकार बनाम तमिल प्रवासी’ लेबल मौलिक रूप से दोषपूर्ण है। श्रीलंकाई समुदायों के बीच संबंधों को दोबारा से जांचने की जरूरत है।”