चीनी यात्री व्हेनसांग ने सन् 618 में छत्तीसगढ़ का पहला दौरा किया था। उनकी भारत यात्रा पर थामस वार्ट्स ऑन युवांग चांग की ट्रेवल्स इन इंडिया नामक पुस्तक भी प्रकाशित हुई थी। इसके दूसरे भाग में व्हेन सांग की यात्रा से यह तथ्य उजागर हुआ है कि भगवान बुद्ध के चरण भी छत्तीसगढ़ में पड़े थे। व्हेन सांग की यात्रा वृत्तांत में सिरपुर का उल्लेख है। व्हेन सांग की यात्रा यह भी साबित करती है कि चीन की संस्कृति के कुछ अंश छत्तीसगढ़ में भी विद्यमान हैं।
छत्तीसगढ़ की संस्कृति और चीन का संबंध वर्षो पुराना है। केवल व्यापार अपितु, कला-संस्कृति और धर्म के मामले में छत्तीसगढ़ और चीन का दोस्ताना संबंध रहा है। छत्तीसगढ़ में बौद्ध धर्म की समृद्ध परंपरा और उसके पुरतत्व के प्राचीन अवशेष इस बात के साक्षी हैं।
ऐतिहासिक पुस्तक ट्रैवल्स ऑफ इंडिया के तथ्य बताते हैं कि व्हेन सांग (असली नाम युवांग चांग्स) ने 100 संधाराव (बिहार) और 1000 महायानी बौद्ध भिक्षुओं को निवास करते सिरपुर (श्रीपुर) में देखा था। सिरपुर के उत्खनन से प्राप्त मूर्तियों के विशाल भंडार जिन पर वजयानी पाथियों का प्रभुत्व दिखाई देता है।
व्हेन सांग ने श्रीपुर के दक्षिण की ओर एक पुराने बिहार एवं अशोक स्तूप का वर्णन किया था, जहां भगवान बुद्ध ने शास्त्रार्थ में विद्वानों को पराजित कर अपनी आलौकिक शक्ति का प्रदर्शन किया था। इतिहासकारों के अनुसार यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि जिन-जिन स्थानों पर भगवान बुद्ध ने अपने चरणों से पवित्र किया था, उस पर अशोक स्तूप का निर्माण कराया गया था। व्हेन सांग का यात्रा वृतांत इस तथ्य को सत्य के नजदीक लाता है।
चीनी यात्री व्हेन सांग ने दक्षिण कोसल की तत्कालीन राजधानी का सिरपुर का जिस समय प्रवास किया था, उस समय सोमवंशी राजा महाशिवगुप्त बालार्जुन वहां राज्य करते थे। इधर व्हेन सांग ने अपने यात्रा वृत्तांत में लिखा है कि मौर्य राजा अशोक ने दक्षिण कोसल की राजधानी में स्तूप तथा अन्य इमारतों का निर्माण कराया था। चीनी यात्री का उल्लेख गलत नहीं है।
सम्राट अशोक के समय के धर्मलेख सरगुजा के रामगढ़ की सीताबोंगरा और जोगीन्मारा गुफाओं में भी पाए गए हैं। कई वर्षो पूर्व मेघदूत में कालिदास द्वारा वर्णित रामगिरि इसी रायगढ़ को माना जाता है।
सिरपुर को बौद्ध सर्किट-3 में जगह दी गई है। ज्ञात रहे कि बौद्ध सर्किट एक में गया, वाराणसी, कुशीनगर, पीपरवा की यात्रा के साथ लुंबनी (नेपाल) की यात्रा शामिल है। केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री महेश शर्मा ने भी सिरपुर को बौद्ध सर्किट में शामिल करने की जानकारी दी है।
इधर विधानसभा में संस्कृति मंत्री अजय चंद्राकर ने बताया है कि सिरपुर 1906 से संरक्षित है और हमने केंद्र सरकार से ऐतिहासिक तथ्यों का पता लगाने उत्खनन की अनुमति मांगी है।
वहीं, संस्कृति विभाग के संचालक राकेश चतुर्वेदी ने कहा है कि बौद्ध सर्किट में सिरपुर के शामिल होने से कई ऐतिहासिक तथ्य और भी उजागर होंगे तथा पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।