बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परंपरा से निकला धर्म और दर्शन है। इस धर्म के प्रस्थापक महात्मा बुद्ध थे। बौद्ध धर्म के आठ शुभ चिह्न पवित्र, पूजनीय और प्राचीन धर्म के प्रतीक है। बौद्ध धर्म के आठ शुभ चिह्न निम्नानुसार हैं :-
(1) श्वेत शंख :
श्वेत शंख जो दाहिनी ओर कुंडलित हो, धर्म की मधुर, गहरी और संगीतमय शिक्षा को दर्शाता है। यह हर प्रकार के व्यवहार वाले शिष्यों के लिए उपयुक्त है। यह शंख उनको अज्ञानता से उठाकर अच्छे कर्म और दूसरों की भलाई करने की प्रेरणा देता है।
(2) विजयी ध्वज :
विजयी ध्वज जीवन में शारीरिक, मानसिक और अन्य गतिरोधों के विरुद्ध पाई गई विजय का प्रतीक है। यह बौद्ध धर्म के सिद्धांतों की विजय का भी प्रतीक है।
(3) स्वर्ण मछली :
स्वर्ण मछली सभी जीवों के निर्भय जीवन जीने का प्रतीक है। जैसे मछली निश्चिंत होकर तैरती है, वैसे ही सभी जीवों को निर्भय होकर जीना चाहिए।
(4) पवित्र छत्री :
पवित्र छत्री मनुष्यों को बीमारी, विपत्ति और सभी विनाशी ताकतों से सुरक्षित रखने की प्रतीक है। यह तेज धूप से छाया का आनन्द लेने का भी प्रतीक है।
(5) धर्मचक्र :
यह बौद्ध धर्म के सभी प्रकार के सिद्धांतों, जिनका कि भगवान बुद्ध ने अपने उपदेशों में उल्लेख किया है, का प्रतीक है। यह निरंतर विकास की ओर इंगित करता है।
(6) शुभ आकृति :
शुभ आकृति का चित्रण धार्मिक और भौतिक जीवन के परनिर्भरता का प्रतीक है। यह बौद्ध धर्म के अष्टांगिक मार्ग की ओर भी इंगित करता है।
(7) कमल का फूल :
बौद्ध धर्म में कमल के फूल का अत्यधिक महत्व है। यह शरीर, वचन और मन के शुद्धिकरण का प्रतीक है।
(8) शुभ कलश :
शुभ कलश दीर्घायु, सुख-संपत्ति, आनंद, अनवरत वर्षा व जीवन के सभी सुखों-लाभों का प्रतीक है।