न्यूयार्क, 14 मार्च (आईएएनएस)। बैरिएट्रिक सर्जरी के माध्यम से अतिरिक्त वजन कम करने का फायदा दमा के खतरे को दूर रखने में मिलता है, जिसे एग्जैसर्बेशन कहते हैं और यह आम तौर पर मोटापे से ग्रस्त अस्थमा के मरीजों में पाया जाता है।
एक नए शोध में इसकी जानकारी मिली है।
प्रमुख शोधकर्ता मेसाच्युसेट्स जनरल हॉस्पीटल (एमजीएच) के कोहेइ हासेगावा ने कहा, “हमने देखा है कि मोटापे से ग्रस्त दवा के मरीजों में से थोड़े-थोड़े अंतराल में अस्पताल के आपातकाल विभाग भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या बैरिएट्रिक सर्जरी के बाद दो साल के अंदर आधी रह गई।”
शोधकर्ताओं ने कहा कि पहली बार यह देखा गया कि वजन कम करने से गंभीर दमा से जुड़े मामलों में काफी सकारात्मक फायदा पहुंचता है।
हासेगावा ने कहा, “पूर्व के अध्ययनों में देखा गया है कि बिना सर्जरी के वजन कम करने की प्रक्रिया दमा के खतरे को कम करने में नाकाम रही हैं, लेकिन हमारे अध्ययन के परिणामों के मुताबिक, बैरिएट्रिक सर्जरी के माध्यम से वजन कम करने का फायदा दमा के खतरे को कम करने में कारगर है।”
शोधकर्ताओं ने ऐसे 2,261 लोगों का अध्ययन किया, जो मोटापे से ग्रस्त दमा के मरीज थे और वजन कम करने के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी का सहारा लिया था।
अध्ययन में पाया गया कि सर्जरी से पहले 22 फीसदी मरीजों को साल में कम से कम एक बार अस्पताल आपातकालीन दौरे की जरूरत पड़ी, जबकि सर्जरी के दो साल के बाद सिर्फ 11 फीसदी मरीजों को ही साल में एक बार अस्पताल के आपातकाली विभाग में भर्ती होना पड़ा।
यह अध्ययन ऑनलाइन जर्नल एलर्जी एंड क्लिनिकल इम्युनोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।