चेन्नई, 4 मार्च (आईएएनएस)। आम धारणा यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा मुख्य दरों में कटौती करने के बाद अब बैंक नैतिक रूप से अपनी ब्याज दरें घटाने के लिए बाध्य हैं। लेकिन उद्योग जगत के जानकारों के मुताबिक यह जल्द होने की उम्मीद नहीं है।
एक हाउसिंग फायनेंस कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, “बैंक अब ब्याज दरें घटाने के लिए नैतिक रूप से बाध्य हैं। उसके बाद ही अन्य ऋणदाता संगठन जैसे हाउसिंग फायनेंस, गैर बैंकिंग फायनेंस कंपनियां (एनबीएफसी) अपनी दरें घटाने में सक्षम होंगी।”
उन्होंने कहा, “नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) ने भी बाजार से कर्ज पर पैसे उठाए हैं, इसलिए जब तक उसके ब्याज दर कम नहीं होंगे, तब तक एनएचबी यह लाभ ग्राहकों को नहीं दे पाएगा।”
बैंकों से हालांकि ब्याज दर घटाने की उम्मीद नहीं दिखती है।
मुख्य दरें घटाने के आरबीआई के फैसले का स्वागत करते हुए भारतीय स्टेट बैंक की प्रमुख अरुं धति भट्टाचार्य ने कहा, “हमारा बैंक उभरती परिस्थितियों पर गौर करते हुए आधार दर में कटौती पर फैसला करेगा।”
आरबीआई ने इस साल पहली बार जनवरी में दरें घटाई थीं, लेकिन बैंकों ने तब अपनी आधार दरें नहीं घटाई थी।
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ के मुताबिक रिजर्व बैंक को आम बजट में सरकारी खर्च की गुणवत्ता में सुधार और उपभोक्ता महंगाई दर में गिरावट के कारण दरों में कटौती करने में सुविधा हुई।
उन्होंने कहा कि नकद आरक्षी अनुपात और सांविधिक तरलता अनुपात को क्रमश: चार फीसदी और 21.5 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। इसलिए वित्तीय प्रणाली में अतिरिक्त तरलता नहीं आ रही है।