नई दिल्ली, 16 अक्टूबर –राजधानी में स्वयंसेवकों का एक समूह हरे रंग के टी-शर्ट में हर रविवार रात 8.30 बजे के आसपास बेघर लोगों का पेट भरने पैकेटबंद खाना, बड़ा पाव, खिचड़ी और पराठा लेकर विभिन्न दिशाओं में निकल पड़ते हैं।
यह कोई सरकारी पहल नहीं है। यह दो दोस्तों का सामूहिक प्रयास है जिसने दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता और बेंगलुरु के भोजनालयों के सहयोग से अपने रॉबिनहुड सेना द्वारा गरीब, बेसहारा और बेघर लोगों का पेट भरने का बीड़ा उठाया है।
इन लोगों द्वारा यह प्रयास अभी हालांकि सप्ताह में एक दिन ही किया जा रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में वे इसे रोजाना करने की योजना बना रहे हैं।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि भोजनालयों से वे बेकार हो चुका खाना नहीं, बल्कि बचा हुआ खाना लेते हैं। यही नहीं, कुछ भोजनालय तो उन्हें तैयार ताजा भोजन भी देते हैं।
इस पहल की शुरुआत करने वालों में से एक 27 वर्षीय आनंद सिन्हा ने आईएएनएस से कहा, “जब हमने यह काम शुरू किया था, तब दल में केवल छह लोग थे। इस बात को लेकर हम शुरुआत से ही स्पष्ट थे कि लोगों के लिए हमें बेकार खाना नहीं, बल्कि बचा हुआ खाना लेना है। हमने भोजनालयों से अनुरोध किया कि वे बेकार हो चुका खाना नहीं, बल्कि बचा हुआ खाना हमें दें।”
उन्होंने कहा, “कुछ भोजनालय तो हमारी पहल से इस कदर उत्साहित हुए कि वे हमें ताजा खाना तैयार कर देने के लिए राजी हो गए।”
गुड़गांव का कबाब एक्सप्रेस हमें 100 ताजा बड़ा पाव, जबकि देर रात्रि सेवा देने वाले मिडनाइट मुंची हमें ताजी खिचड़ी तथा पराठा प्रदान करता है।
सेवा का यह अनोखा विचार उनके जेहन में पुर्तगाल के ‘रिफूड’ संस्था को देखकर आया, जो देश में भूख और बचा हुआ खाना दोनों को ही ठिकाने लगा रहा है।
सिन्हा के मित्र नील घोष ने पुर्तगाल के इस मॉडल की नकल का फैसला किया।
सिन्हा ने कहा, “हमने इसे शुरू करने का फैसला किया, लेकिन छोटे पैमाने पर।”
काफी पहले दोनों बेसहारा लोगों को भोजन वितरण करते थे।
योजना के क्रियान्वयन की शुरुआत उन्होंने दिल्ली से की। सर्वप्रथम उन्होंने रिंग रोड के इलाके, एम्स मेट्रो स्टेशन और निजामुद्दीन इलाकों का चुनाव किया।
सिन्हा ने कहा, “इसके बाद हम कुछ रेस्तरांओं के मालिकों के संपर्क में आए और उन्हें इस बात से अवगत कराया कि आखिर कैसे उनकी भूमिका से समाज का भला हो सकता है।”
सोशल नेटवर्किं ग साइट फेसबुक पर किए गए प्रयासों से राजधानी के विभिन्न इलाकों से 40 स्वयंसेवक काम कर रहे हैं।
दिल्ली में अच्छी प्रतिक्रिया मिलने के बाद उन्होंने अन्य शहरों की ओर भी रुख किया। वर्तमान में कुल पांच शहरों में 120 स्वयंसेवक काम कर रहे हैं।
कबाब एक्सप्रेस के मुख्य संचालन अधिकारी (सीओओ) जगजीत सिंह कंधारी ने कहा कि कॉरपोरेट के बीच वे एक संदेश देना चाहते हैं कि समाजिक कल्याण के लिए वे तनिक भी काम करें, ताकि लोगों का भला हो सके।
कंधारी ने आईएएनएस से कहा, “हर व्यक्ति को इस तरह की पहल में शामिल होना चाहिए। यदि हमारा प्रयास एक भूखे पेट को भर सकता है, तो ऐसा करके हमें खुशी महसूस होती है।”