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 बुढ़वा मंगल की परंपरागत गाथा | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

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बुढ़वा मंगल की परंपरागत गाथा

budhawamanglवाराणसी। पिछले तकरीबन 16 साल से शैशव काल में पड़े बुढ़वा मंगल की परंपरागत गाथा एक बार फिर उभरकर सामने आई। कमिश्नर चंचल कुमार तिवारी के सामने जब यह राग अलापने की शुरुआत हुई तो सवालों की झड़ी के आगे वे कोई जवाब नहीं दे सके। यह जरूर भरोसा दिलाया कि आमजन को भी इससे जोड़ा जाएगा।

दशाश्वमेध घाट के सामने गंगा की धारा में 21 बजड़ों पर नौ अप्रैल को शाम को साढ़े छह बजे से सजने वाली महफिल को भव्य रूप देने के लिए आयुक्त ने लोगों से सहयोग मांगा। कहा, घाटों पर टीवी स्क्रीन लगाए जाएंगे ताकि आमजन आसानी से महफिल का लुत्फ उठा सकेंगे।

लोहिया की सोच करेंगे साकार- आयुक्त ने कहा कि बुढ़वा मंगल को शैशव काल से बाहर निकाला जाएगा। सिर्फ कुछ खास लोगों तक सीमित इसके दायरे को डॉ. राम मनोहर लोहिया की सोच के अनुरूप आमजन से जोड़ने की दिशा में भी वे कदम आगे बढ़ाएंगे। मंगल ध्वनि शहनाई वादन से संगीत कार्यक्रम का शुभारंभ होगा। इनकी रहेगी खास मौजूदगी- वादक कलाकार होंगे अली अब्बास खां। डॉ. रेवती साकलकर का उपशास्त्रीय गायन, विश्वविख्यात नारी तबला वादक अनुराधा पाल का स्वतंत्र तबला वादन होगा। कार्यक्रम का समापन कुमुद दीवान के उप शास्त्रीय गायन से होगा। विशिष्टजन व संस्थाएं भव्य बजड़ों संग गंगाधार पर दिखेंगी।

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