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 बुंदेलखंड : ‘लाल सोना’ की लूट है, लूट सको तो लूट! | dharmpath.com

Tuesday , 22 April 2025

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बुंदेलखंड : ‘लाल सोना’ की लूट है, लूट सको तो लूट!

बांदा, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। संत कबीर की अकाट्य वाणी ‘राम नाम की लूट है, लूट सको तो लूट ..!’ की उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में बालू माफिया, जनप्रतिनिधि और अधिकारियों की ‘तिकड़ी’ ने इबारत ही बदल दी है। केन नदी हो, बागै या फिर यमुना, इनकी तलहटी में बसे गांवों के मजदूर अब तो इसी तर्ज पर ‘लाल सोना की लूट है, लूट सको तो लूट’ जैसा गीत दिन-रात गुनगुना रहे हैं। यहां के लोग ‘बालू’ को ‘लाल सोना’ और पहाड़ों के ग्रेनाइट पत्थर को ‘काला सोना’ कहते हैं।

बांदा, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। संत कबीर की अकाट्य वाणी ‘राम नाम की लूट है, लूट सको तो लूट ..!’ की उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में बालू माफिया, जनप्रतिनिधि और अधिकारियों की ‘तिकड़ी’ ने इबारत ही बदल दी है। केन नदी हो, बागै या फिर यमुना, इनकी तलहटी में बसे गांवों के मजदूर अब तो इसी तर्ज पर ‘लाल सोना की लूट है, लूट सको तो लूट’ जैसा गीत दिन-रात गुनगुना रहे हैं। यहां के लोग ‘बालू’ को ‘लाल सोना’ और पहाड़ों के ग्रेनाइट पत्थर को ‘काला सोना’ कहते हैं।

भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने का वादा करने वाली सूबे की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार में पूर्ववर्ती सरकारों से ज्यादा अवैध बालू खनन देखने को मिल रहा है। अवैध खनन का आलम यह है कि प्रतिबंध के बावजूद पोकलैंड, जेसीबी और एलएनटी जैसी मशीनें बेधड़क नदियों का सीना चीर कर उनकी जलधारा ही बदल रहे हैं, जिससे बाढ़ और सूखे जैसा दंश हर साल किसानों को भुगतना पड़ रहा है।

बुंदेलखंड में चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर को छोड़ दें तो अकेले बांदा जिले में वैध रूप से बालू की छोटी-बड़ी 39 खदानें संचालित हैं। इन वैध खदानों की आड़ में अवैध खदानों की भरमार ज्यादा है और अवैध खनन का खेल बदस्तूर जारी है।

वैसे तो हर सरकार में विधायक और सांसदों के ऊपर बालू के इस गोरखधंधे में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन अब तो सत्ता पक्ष के एक विधायक पर बालू खदानों से रंगदारी न दिलाने पर खनिज अधिकारी से मारपीट करने की भी प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है। फिर भी अवैध खनन पर पाबंदी नहीं लग पाई। हद तो तब हो गई, जब सूबे के सिंचाई मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री ने शुक्रवार को समीक्षा बैठक के दौरान जिले में तैनात खनिज अधिकारी को दो बार तलब किया, लेकिन अधिकारी ने वहां जाने से ही मना कर दिया। अब मंत्री जी ने अपनी लाज बचाने के लिए इस अधिकारी से बैठक पर न आने का स्पष्टीकरण मांगा है।

वामपंथी विचारधारा के बुजुर्ग राजनीतिक विश्लेषक और अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष रणवीर सिंह चैहान कहते हैं कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे बसपा के गयाचरन दिनकर को भारी मतों से हरा कर पहली बार नरैनी सीट से विधायक चुने गए भाजपा के राजकरन कबीर ने एक टीवी चैनल को दिए अपने पहले इंटरब्यू में कहा था कि अपने क्षेत्र में बालू के अवैध खनन पर रोंक लगाना उनकी पहली प्राथमिकता होगी।

विधायक ने अवैध खनन और ओवरलोडिंग वाहनों के खिलाफ 14 जून 2017 की रात नरैनी चौराहे पर अपनी ही सरकार के खिलाफ करीब तीन घंटे तक धरना भी दिया था। लेकिन कुछ दिन बीते थे कि पूर्व पुलिस अधीक्षक शालिनी ने रात में छापा मारकर अवैध बालू लदे ट्रकों की निकासी और उनसे वसूली करते रंगेहाथ गिरफ्तार कर उनके चचेरे भाई (विशाल, निवासी मुरवां) को जेल भेज दिया था।

सामाजिक कार्यकत्री उषा निषाद बताती हैं कि उन्होंने अवैध खनन में संलिप्तता के चलते इसी विधायक के खिलाफ जबर्दस्त प्रदर्शन किया और कई दिनों तक अनशन भी किया था, लेकिन बाद में प्रशासन ने अनशनकारियों के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कराकर आवाज को दफन कर दिया है।

वह आरोप लगाती हैं, “विधायक जी का एक भाई विधानसभा चुनाव के बाद से ही पांडादेव, रिसौरा और मऊ गांवों में बालू का अवैध खनन करा रहा है।”

इस समय अवैध खनन के मामले में खनिज अधिकारी शैलेंद्र सिंह और भाजपा के तिंदवारी विधायक बृजेश प्रजापति के बीच चल रही जंग सोशल मीडिया से लेकर अधिकारियों के चौखट तक चर्चा का विषय बनी हुई है। खनिज अधिकारी ने 9 अक्टूबर को भाजपा विधायक प्रजापति के खिलाफ खदानों से रंगदारी न दिलाने पर सर्किट हाउस में बंधक बनाकर मारपीट करने की प्राथमिकी दर्ज कराई तो विधायक ने उन पर बालू माफियाओं से मिलकर अवैध सिंडीकेट चलाने का आरोप लगाया। अब तो दोनों पक्ष के समर्थक सड़क पर ‘झंडा ऊंचा’ कर रहे हैं।

बुंदेलखंड किसान यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा दो दिन पूर्व ही सैकड़ों किसानों के साथ प्रदर्शन कर भाजपा विधायक के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई। शर्मा ने शनिवार को कहा कि भाजपा विधायक किसानों की समस्याओं की अनदेखी कर बालू के अवैध कारोबार में संलिप्त हैं, मुकदमा दर्ज होने के बाद भी पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर रही है।

हालांकि पुलिस विधायक और खनिज अधिकारी के विवाद में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। शहर कोतवाल अनिल कुमार सिंह ने बताया कि इस मामले की विवेचना (जांच) चल रही है, अदालत में खनिज अधिकारी शैलेंद्र सिंह का कलमबंद बयान भी दर्ज कराया चुका है। अदालत के आदेश पर अगली कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

अवैध खनन के मामले में शुक्रवार को ताज्जुब उस समय देखने को मिला, जब सूबे के सिंचाई मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह ने कलेक्ट्रेट सभागार में समीक्षा बैठक कर रहे थे, उसी समय बैठक स्थल से महज दो किलोमीटर की दूरी पर केन नदी के दुरेंडी बालू घाट और उसके आस-पास तलहटी में प्रतिबंधित मशीनों से दिन में अवैध खनन किए जाने का मामला उठा। इस पर मंत्री ने दो बार खनिज अधिकारी को बैठक में तलब किया, लेकिन वह नहीं पहुंचे और बाद में अपनी लाज बचाने के लिए मंत्री ने मौजूद जिलाधिकारी को उनसे स्पष्टीकरण लेने का निर्देश निर्गत किया।

इस समीक्षा बैठक में मौजूद बांदा विधायक प्रकाश द्विवेदी ने बताया कि प्रभारी मंत्री ने अधिकारियों को भेजकर दो बार खनिज अधिकारी को बुलाया, लेकिन ‘आप चलिए, मैं आता हूं’ कहकर अधिकारी नहीं आया। इस पर मंत्री ने जिलाधिकारी के माध्यम से स्पष्टीकरण मांगा है।

शनिवार को खनिज अधिकारी शैलेंद्र सिंह से जब समीक्षा बैठक में न पहुंचने की वजह पूछी गई तो उन्होंने कहा, “कल मेरी तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए नहीं पहुंच पाए। अगर स्पष्टीकरण मांगा गया तो दे दिया जाएगा, यह कोई बड़ी बात नहीं है।”

बुंदेलखंड के वाशिंदों का मानना है कि माफिया, जनप्रतिनिधि और अधिकारियों की ‘तिकड़ी’ को जब तक राज्य सरकार अलग-थलग नहीं कर देती, तब तक अवैध खनन पर रोंक लगाने की बात बेईमानी होगी।

बालू ‘लाल सोना’ है और इसे लूटना तिकड़ी का ‘स्टेटस सिंबल’ बन चुका है। बालू और पत्थर के अवैध खनन से ही बुंदेलखंड कंगाल हो गया है, वैधानिक तौर पर इस खनिज संपदा से करीब दस अरब रुपये हर साल राजस्व के रूप में राज्य सरकार को फायदा होता है।

–आईएएनएस

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