इंगोहटा के किसान धनीराम साहू, शिव प्रताप रजवा आदि ने बताया कि फसल नहीं बचाई जाएगी तो परिवार का पालन-पोषण नहीं हो पाएगा। इसलिए भीषण ठंड की परवाह किए बगैर रात-रात भर खेतों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। रात में जंगली जानवरों व विषैले जंतुओं का भय भी रहता है, लेकिन अन्ना पशुओं की कोई व्यवस्था नहीं हो पा रही तो उनकी मजबूरी बन गई है।
किसानों ने बताया कि लोग भीषण शीत लहरी में घरों के अंदर सर्दी से कांपते रहते हैं, मगर वे तो ईश्वर के सहारे ठंड की रातें निर्जन स्थानों में कंबल के सहारे काट रहे हैं। शासन-प्रशासन उन पर ध्यान नहीं दे रहा है।
किसान जयकिशोर दीक्षित का कहना है कि सरकार ने पशुओं के लिए दो करोड़ रुपये दिए हैं तो अफसरों को अन्ना पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था तो करनी चाहिए।
उधर विदोखर क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में अन्ना पशु भ्रमण कर रहे हैं, उन्हें बिदोखर की गल्ला मंडी में बंद करने की वहां का ठेकेदार अनुमति नहीं दे रहा है। दूसरी बात कि मंडी में गेट न होने के कारण वहां जानवर रुक नहीं सकते हैं।
किसानों ने बताया कि जिस खेत में जानवरों का झुंड में घुस जाता है, वह खेत तहत-नहस हो जाता है। इसीलिए भीषण सर्दी में किसान प्राणों की बाजी लगाकर खेतों की रखवाली कर रहा है। किसानों ने जिला प्रशासन से अन्ना पशुओं के लिए कोई ठोस उपाय किए जाने की मांग की है।