Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 बुंदेलखंड : खेतों में लगेंगी किसान विद्यापीठ की कक्षाएं | dharmpath.com

Saturday , 30 November 2024

ब्रेकिंग न्यूज़
Home » धर्मंपथ » बुंदेलखंड : खेतों में लगेंगी किसान विद्यापीठ की कक्षाएं

बुंदेलखंड : खेतों में लगेंगी किसान विद्यापीठ की कक्षाएं

बांदा, 16 फरवरी (आईएएनएस)। सूखा, गरीबी और पलायन बुंदेलखंड की पहचान बन चुकी है। खेत वीरान पड़े हैं, मगर यहां उत्कृष्ट खेती के लिए सर्वश्रेष्ठ किसान तैयार करने के सपने संजोए जा रहे हैं। इसकी शुरुआत बांदा से हो रही है, जहां किसान विद्यापीठ स्थापित की गई है। इसकी कक्षाएं कमरों में नहीं, बल्कि खेतों में लगेंगी और प्रशिक्षणार्थियों को कृषि की श्रेष्ठ तकनीक से समृद्ध बनाया जाएगा।

बांदा, 16 फरवरी (आईएएनएस)। सूखा, गरीबी और पलायन बुंदेलखंड की पहचान बन चुकी है। खेत वीरान पड़े हैं, मगर यहां उत्कृष्ट खेती के लिए सर्वश्रेष्ठ किसान तैयार करने के सपने संजोए जा रहे हैं। इसकी शुरुआत बांदा से हो रही है, जहां किसान विद्यापीठ स्थापित की गई है। इसकी कक्षाएं कमरों में नहीं, बल्कि खेतों में लगेंगी और प्रशिक्षणार्थियों को कृषि की श्रेष्ठ तकनीक से समृद्ध बनाया जाएगा।

बुंदेलखंड में लगातार पड़ने वाले सूखे ने किसानों के मन में निराशा और हताशा का भाव भर दिया है, उन्हें लगने लगा है कि अब खेती उनके बस की नहीं रही है, मगर बड़ोखर खुर्द के प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह को लगता है कि मौसम ने दगा दिया तो किसानों ने तरीका बदला और उसी का नतीजा है कि आज उनके लिए खेती मुश्किल हो गई है।

प्रेम सिंह की बात इसलिए भी तर्कसंगत लगती है, क्योंकि इसी इलाके में उनका खेत कुछ और ही कहानी कहता है। फसलें लहलहा रही हैं और सब्जियों की भरपूर पैदावार हो रही है।

प्रेम सिंह कहते हैं कि जब तक सिर्फ प्रकृति के शोषण और दोहन की बजाय प्रकृति को कुछ देने की भावना विकसित नहीं होगी, तब तक किसान और खेती समृद्धशाली नहीं हो सकती। आवर्तनशील खेती ही ऐसा जरिया है जो सारी समस्याओं की जड़ को खत्म कर सकती है।

उन्होंने कहा कि आवर्तनशील खेती वह है जो सह अस्तित्ववाद आधारित और प्राकृतिक नियमों का पालन करते हुए की जाती है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से दर्शन शास्त्र में स्नातकोत्तर और ग्रामोद्योग विश्वविद्यालय चित्रकूट से ग्रामीण प्रबंधन पर एमबीए करने वाले प्रेम सिंह बुंदेलखंड की नई पीढ़ी में खेती के प्रति रुझान पैदा करने के साथ आकर्षण बढ़ाना चाहते हैं, यही कारण है कि उन्होंने किसान विद्यापीठ शुरू करने का मन बनाया। इसका उद्घाटन हो चुका है, मगर पढ़ाई की शुरुआत अक्षय तृतीया से से शुरू होगी।

इस विद्यापीठ के लिए दो पाठ्यक्रम बनाए गए हैं। यह एक और दो वर्षीय पाठ्यक्रम होंगे। इन पाठ्यक्रमों में विद्यार्थियों को प्राकृतिक नियमों का ज्ञान, ऋतुज्ञान, मृदा की जीवंतता का ज्ञान, बीजों को बोने और संरक्षित करने का ज्ञान, पशु-पक्षियों, वन-बाग के साथ सामंजस्य का ज्ञान, जुताई, कटाई, मड़ाई आदि का ज्ञान उन किसानों द्वारा दिया जाएगा जो पीढ़ियों से इसके अनुभवी व जानकार हैं।

प्रेम सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र में दो तरह के किसान हैं, एक वे जो अपनी भूमि पर खेती कर अपना और परिवार का पेट भरते हैं, वहीं वे लोग जो बड़े काश्तकार हैं और अपनी भूमि खेती के लिए किराए पर देते हैं। बड़े काश्तकारों के लिए खेती पूरी तरह बाजार पर आधारित है, अगर इसे रसोई से आधारित कर दिया जाए तो किसानों की तकदीर व खेतों की तस्वीर ही बदल जाएगी।

उनका कहना है कि खेतों की पैदावार का प्रसंस्करण किया जाए, जैसे गेहूं का दलिया बनाकर बाजार में भेजा जाएगा तो किसान को लाभ मिलेगा, बिचौलिया या व्यापारी को नहीं। एक तरफ किसान की आमदनी बढ़ेगी, दूसरी ओर उसका समाज में सम्मान भी बढ़ेगा। यही इस विद्यापीठ में आने वाले किसानों को सिखाया जाएगा।

किसान प्रेम सिंह का दावा है कि यह कृषि महाविद्यालयों में दी जाने वाली शिक्षा से पूरी तरह अलग होगी। उनका कहना है कि इन संस्थानों ने लालचवादी प्रभाव बढ़ाया है, जिसने किसान और किसानी दोनों को तबाह कर दिया है, मगर विद्यापीठ में प्रशिक्षणार्थियों को प्राकृतिक नियमों का पालन करते हुए मानवता का ख्याल रखने के गुर सिखाए जाएंगे।

इस विद्यापीठ में पढ़ने आने वाले विद्यार्थियों से किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जाएगा, उन्हें खेत में ले जाकर अनुभवी किसान प्रशिक्षण देंगे अर्थात कक्षाएं खेत में लगेंगी, छात्रों व प्रशिक्षकों के खाने और रहने की व्यवस्था आपसी सहयोग से की जाएगी। इस पीठ की किसी से संबद्धता नहीं होगी, कोई प्रमाणपत्र की व्यवस्था नहीं होगी।

विद्यापीठ की योजना का खुलासा करते हुए प्रेम सिंह ने बताया कि इस पीठ में दोनों ही पाठ्यक्रम में 10-10 विद्यार्थियों को दाखिला दिया जाएगा। यह छात्र उन बड़े किसानों की जमीन किराए पर लेकर आवर्तनशील खेती करेंगे, जो खुद खेती नहीं करते हैं। यह पूरी तरह जैविक होगी, इस पैदावार से होने वाली आय का एक हिस्सा छात्र विद्यापीठ को देंगे।

प्रेम सिंह ने बताया कि इन पाठ्यक्रमों में किसानों को ऐसी तकनीक सिखाई जाएगी जो उन्हें सर्वश्रेष्ठ बनाएगी। यहां परंपरागत और आधुनिक खेती का मिश्रण होगा, मगर रसायनों का उपयोग नहीं होगा। यहां जरूरत के मुताबिक उपकरण विकसित किए जाएंगे।

बुंदेलखंड : खेतों में लगेंगी किसान विद्यापीठ की कक्षाएं Reviewed by on . बांदा, 16 फरवरी (आईएएनएस)। सूखा, गरीबी और पलायन बुंदेलखंड की पहचान बन चुकी है। खेत वीरान पड़े हैं, मगर यहां उत्कृष्ट खेती के लिए सर्वश्रेष्ठ किसान तैयार करने के बांदा, 16 फरवरी (आईएएनएस)। सूखा, गरीबी और पलायन बुंदेलखंड की पहचान बन चुकी है। खेत वीरान पड़े हैं, मगर यहां उत्कृष्ट खेती के लिए सर्वश्रेष्ठ किसान तैयार करने के Rating:
scroll to top