लखनऊ। यूपी के इलाहाबाद में अखाड़ा परिषद ने एक बिल्डर और बीयर बार मालिक को महामंडलेश्वर बनाकर विवाद खड़ा कर दिया। आरोप लग रहे हैं कि पैसों के दम पर बिल्डर सचिन दत्ता को महामंडलेश्वर की पद्वी दी गई। हालांकि विवाद बढ़ने पर निरंजनी अखाड़े के सचिव नरेंद्र गिरि ने कहा कि इस मामले की जांच की जाएगी और अगर सचिन कारोबारी गतिविधियों में लिप्त पाए गए तो उनकी पद्वी वापस ले ली जाएगी।
सचिन दत्ता ऊर्फ महामंडलेश्वर सच्चिदानंद गिरि को अखाड़ा परिषद ने शुक्रवार को इलाहाबाद में पूरे ताम-झाम और रीति-रिवाज के साथ महामंडलेश्वर की पद्वी से नवाजा। निरंजनी अखाड़े के सचिव और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने खुद सच्चिदानंद का पट्टाभिषेक किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव भी मौजूद थे। शिवपाल सिंह यादव ने तो इस अवसर पर बाकायदा अपने सरकारी हेलीकॉप्टर से फूलों की बारिश भी करवाई। लेकिन सचिन के महामंडलेश्वर सच्चिदानंद बनने के अगले ही दिन ये मामला विवादों में आ गया है।
सचिन दत्ता के कारोबार से जुड़े होने की खबर आते ही अखाड़ा परिषद बचाव की मुद्रा में आ गया। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने कहा कि सच्चिदानंद गिरि के बारे में पूरी पड़ताल की जाएगी और आरोप सही पाए गए तो उनकी पदवी वापस ले ली जाएगी। हालांकि सच्चिदानंद गिरि के समर्थक उनके बचाव में उतर आए हैं। उनका कहना है कि सचिन दत्ता 22 साल की उम्र मैं ही संन्यासी हो गए थे। गाजियाबाद निवासी सचिन अग्नि अखाड़ा के महामंडलेश्वर कैलाशानंद के साथ 20 साल से जुड़े हैं। सचिन को महामंडलेश्वर बनाने की सिफारिश कैलाशानंद और नरेंद्र गिरि ने की थी।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर महामंडलेश्वर की पदवी मिलने से सचिन को क्या लाभ होगा, आपको बता दें कि संत समाज में महामंडलेश्वर का पद बहुत ऊंचा और सम्मानित माना जाता है। कुंभ में होने वाले शाही स्नान में महामंडलेश्वर रथ पर सवार होकर निकलते हैं। कुंभ में महामंडलेश्वर के लिए अलग शिविर की व्यवस्था होती है। इनकी सुरक्षा के भी खास इंतजाम किए जाते हैं।
सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सचिन दत्ता उर्फ सच्चिदानंद गिरि को किन नियमों के तहत अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया है। सूत्रों का कहना है कि सचिन पर करोड़ों रुपये का कर्ज है और इन्हीं से बचने के लिए सचिन धर्म का गलत इस्तेमाल कर रहा है। अब देखना ये है कि अखाड़े की जांच में सचिन का कौन सा सच सामने आता है।
संत समाज में महामंडलेश्वर का पद बहुत ऊंचा और सम्मानित माना जाता है। कुंभ में होने वाले शाही स्नान में महामंडलेश्वर रथ पर सवार होकर निकलते हैं। कुंभ में महामंडलेश्वर के लिए अलग शिविर की व्यवस्था होती है। इनकी सुरक्षा के भी खास इंतजाम किए जाते हैं।