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बीपी, ब्लड शूगर हो काबू में तो सताएगा नहीं गुर्दारोग

नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। देश में क्रॉनिक किडनी रोग या सीकेडी बढ़ रहा है और अगर समय रहते हम सचेत न हुए तो हमारी किडनी की कार्यप्रणाली क्षतिग्रस्त हो सकती है, किडनी फेल भी हो सकती है और डायलसिस पर निर्भर रहना पड़ सकता है या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के बयान में कहा गया कि डायबिटीज और हाईपरटेंशन दो ऐसी समस्याएं हैं जो क्रॉनिक किडनी रोग के प्रमुख कारण हैं। हाई ब्लड प्रेशर और हाई ब्लड शूगर पर नियंत्रण करके सीकेडी के 50 प्रतिशत मामलों और उससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है जिसमें जान जाने का भी खतरा होता है।

आम तौर पर क्रॉनिक किडनी रोग के लक्षण नजर नहीं आते और अचानक कभी ब्लड या यूरीन टेस्ट करवाने से इसका पता चलता है।

इस बारे में आईएमए के मानद महासचिव डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि क्रॉनिक किडनी रोग एक मूक मारक है, जो एक आम व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को नष्ट कर देता है। इसलिए जरूरी है कि क्रॉनिक किडनी रोग की जांच जल्दी हो जाए ताकि इसका इलाज हो सके।

उन्होंने कहा, “हम अपनी किडनियों को बचा सकते हैं, अगर अपना निम्नतम ब्लड प्रेशर और भूखे पेट ब्लड शूगर 80 पर बनाए रखें। वजन संतुलित रखें। हर साल किडनी की जांच करवाएं और डॉक्टर से ईजीएफआर टेस्ट के लिए कहें, किडनी के नुकसान की जांच जल्दी से जल्दी करवाएं।”

बीपी, ब्लड शूगर हो काबू में तो सताएगा नहीं गुर्दारोग Reviewed by on . नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। देश में क्रॉनिक किडनी रोग या सीकेडी बढ़ रहा है और अगर समय रहते हम सचेत न हुए तो हमारी किडनी की कार्यप्रणाली क्षतिग्रस्त हो सकती ह नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। देश में क्रॉनिक किडनी रोग या सीकेडी बढ़ रहा है और अगर समय रहते हम सचेत न हुए तो हमारी किडनी की कार्यप्रणाली क्षतिग्रस्त हो सकती ह Rating:
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