न्यूयॉर्क, 12 मार्च (आईएएनएस)। भविष्य में आपका बच्चा मोटापाग्रस्त होगा या नहीं, इसका अनुमान लगाना थोड़ा कठिन होता है। लेकिन एक नए शोध के अनुसार, शैशवावस्था के दौरान शिशु का बॉडी मॉस इंडेक्स (बीएमआई) मापने से आपको यह अंदाजा लगाने में मदद मिल सकती है कि चार साल की उम्र में आपका बच्चा मोटापाग्रस्त होगा या नहीं।
शोध के परिणामों के अनुसार, शैशवावस्था में बच्चे के विकास का स्वरूप समझकर मोटापे से बचाव में मदद मिलती है।
शरीर का वजन और लंबाई मापने वाला बीएमआई, शरीर में वसा की मात्रा का अनुमान लगाता है।
चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल ऑफ फिलाडेल्फिया (सीएचओपी) में बालरोग एंडोक्राइनोलॉजिस्ट और अध्ययन की नेतृत्वकर्ता शाना मैककॉरमैक ने बताया, “हमने वंश आधारित विकास स्वरूप का भी विश्लेषण किया और पाया कि नौ महीने की उम्र स्पष्ट अंतरों का संबंध बचपन में होने वाले मोटापे के खतरों से था।”
अध्ययन में फिलाडेल्फिया के 2,114 स्वस्थ शिशुओं के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया।
मैककारमैक ने बताया, “हमने जांच की कि शिशुओं में बीएमआई का प्रयोग भविष्य में मोटापे के खतरे को मापने वाले उपकरण के तौर पर कर सकते हैं या नहीं।”
अध्ययन में शामिल किए गए 61 प्रतिशत शिशु अफ्रीकी-अमेरिकी थे। राष्ट्रीय अनुमानों के अनुसार, इनमें मोटामें और व्यस्क होने पर मधुमेह की दर सबसे अधिक होती है।
शोध टीम ने अफ्रीकी-अमेरिकी शिशुओं और यूरोपीय वंश के शिशुओं की विकास वक्र रेखा में महत्वपूर्ण अंतर पाए।
शोध में पाया गया कि अफ्रीकी-अमेरिकी शिशुओं में चार साल की उम्र में मोटापाग्रस्त होने का खतरा, यूरापीय वंश के शिशुओं की अपेक्षा दोगुना होता है।
यह अध्ययन ‘क्लीनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबोलिज्म’ जर्नल में प्रकाशित हुआ।