मनोज पाठक
मनोज पाठक
पटना, 28 अक्टूबर (आईएएनएस)। जनता दल (युनाइटेड) अध्यक्ष शरद यादव का कहना है कि बिहार हमेशा से सामाजिक आंदोलनों की धरती रही है। बिहार में कभी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का आधार नहीं रहा है। एकीकृत बिहार के झारखंड वाले क्षेत्रों में भाजपा का कुछ प्रभाव जरूर माना जाता रहा है।
जद (यू) के अध्यक्ष शरद यादव ने ‘आईएएनएस’ के साथ विशेष बातचीत में आरक्षण के मुद्दे पर कहा, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण के मुद्दे पर जो कुछ कहा है, उसका दलितों और पिछड़े वर्ग जैसे आरक्षण के लाभार्थियों पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। भागवत ने इशारों में जो कुछ कहा है, उसका सामाजिक न्याय में विश्वास करने वाले उच्च वर्ग के मतदाताओं पर भी इसका बड़ा प्रभाव पड़ा है।”
उन्होंने कहा कि यह बयान भाजपा के कारपोरेट सोच और उनकी मानसिकता को दिखाता है। भले ही अब भाजपा के नेता सफाई दे रहे हों, लेकिन अब काफी देर हो गई है।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जद (यू) के गठबंधन के विषय में यादव ने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं कि दोनों में विरोधाभास है, लेकिन यह वास्तविकता भी है कि राजनीति में ऐसे समझौते होते रहे हैं।
नीतीश के मॉडल पर लोगों को विश्वास नहीं होने के सवाल पर शरद कहते हैं, “नीतीश के विकास मॉडल को आज भी यहां के लोग पसंद करते हैं। वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में जो जनादेश जनता ने दिया था, उसमें साफ संदेश था कि बिहार को अब लालू और नीतीश के गठबंधन की जरूरत है।”
उन्होंने कहा कि राजद और जद (यू) के साथ आने के बाद महागठबंधन को मजबूती देने के लिए कांग्रेस का भी सहारा लिया गया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने बिहार चुनाव में किसी भी तीसरे मोर्चे को नकारते हुए कहा कि इस चुनाव में राजग और महागठबंधन में सीधी लड़ाई है।
चुनाव में महागठबंधन के बढ़त का दावा करते हुए उन्होंने कहा, “न सिर्फ मुस्लिम और यादव, बल्कि सभी गरीब जातियां और ऊंची जाति के जागरूक मतदाता महागठबंधन के साथ हैं।”
जातीय ध्रुवीकरण के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जाति को चुनाव में भूला नहीं जा सकता। कश्मीर से कन्याकुमारी तक लोग जाति में बंटे हुए हैं। वे जोर देकर कहते हैं, “हमलोग जाति आधार पर राजनीति करना नहीं चाहते, लेकिन मतदाता इसे गौर से देखता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़े जाते हैं और यही वास्तविकता है।”
उत्तर प्रदेश के दादरी में हुई घटना के विषय में पूछे जाने पर बेबाकी से शरद कहते हैं कि इस मामले में प्रधानमंत्री ने बयान देने में बहुत देरी कर दी। उन्होंने कहा, “जिस मामले को लेकर देश के राष्ट्रपति चिंता जता रहे हों, उस पर प्रधानमंत्री की चुप्पी चिंता की बात है।”
भाजपा के नेताओं द्वारा बढ़त का दावा किए जाने पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की सभा में आठ-10 जिलों की भीड़ को जुटा लेने के कारण भाजपा के लोग चुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं, लेकिन भाजपा के लोग बिहार को नहीं समझ पा रहे हैं। जमीन पर जनता का मूड भांपने में वे नाकाम रहे हैं।
शरद ने इस चुनाव में महागठबंधन की भारी जीत का दावा करते हुए कहा कि डेढ़ वर्ष के दौरान लोगों का भाजपा से मोहभंग हो गया है। महंगाई और लोकसभा चुनाव में किए गए वादे पूरा नहीं किए जाने से लोग भाजपा को नकार रहे हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अंतर होता है।