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 बिहार में चुनाव में मुद्दों पर बदजुबानी हावी! | dharmpath.com

Wednesday , 27 November 2024

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बिहार में चुनाव में मुद्दों पर बदजुबानी हावी!

मनोज पाठक

मनोज पाठक

पटना, 8 मई (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव के पूर्व सभी राजनीतिक दल अपनी शुचिता और विकास के मुद्दे को लेकर चुनाव में जाने और जमात की तकदीर बदलने की बात कर रहे थे, परंतु जैसे-जैसे चुनाव अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहा है, नेताओं की ‘शुचिता’ फना होने लगी है। मतदाताओं को एकजुट करने और दूसरे दलों पर दबाव बनाने की रणनीति में नेताओं की बदजुबानी बढ़ती जा रही है।

कोई एक दल नहीं, बल्कि लगभग सभी दलों के नेताओं की बदजुबानी को देखकर लोग तो अब कहने लगे हैं कि नेताओं में बदजुबानी को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से प्रतियोगिता हो रही है।

नेता अपने बयानों में इतिहास, रामायण और महाभारत के पात्रों की उपमा तथा जानवरों के नामों के जरिए अपने विरोधियों पर निशाना साध रहे हैं। बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने मंगलवार को बिना किसी का नाम लिए ही इशारों ही इशारों में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को ‘नरभक्षी’ कह दिया।

राबड़ी ने ट्वीट किया, “बिहार आते ही तड़ीपार की जीभ दांतों से बाहर निकल भटकने लगती है। नरभक्षियों को पता नहीं क्यों पाकिस्तान से प्यार है? बिहार में हार देख पाकिस्तान में पटाखे फोड़ने की बात करता है। 2015 में नीतीश के मुख्यमंत्री बनने की खुशी में फोड़वा रहा था। बेशर्म लोग काम के नाम पर वोट क्यों नहीं मांगते?”

राबड़ी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जल्लाद कह डाला। भाजपा और जद (यू) नेताओं को नाली का कीड़ा कहा।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को ‘दुयरेधन’ कहे जाने के संबंध में पत्रकारों ने जब राबड़ी से पूछा तो उन्होंने कहा, “उन्होंने (प्रियंका) ‘दुयरेधन’ बोलकर गलत किया। दूसरी भाषा बोलनी चाहिए थी। वो सब तो जल्लाद हैं, जल्लाद। जो जज और पत्रकार को मरवा देते हैं, उठवा लेते हैं, ऐसे आदमी का मन और विचार कैसे होंगे, खूंखार होंगे।”

राबड़ी देवी ने कहा, “प्रधानमंत्री जिस तरह की भाषा अपना रहे हैं, नाली के कीड़े हैं सब। जद (यू) और भाजपा वाले सब नाली के कीड़े हैं। साल 2014 में वो विकास लेकर आए थे और देश का विनाश करके जा रहे हैं।”

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव भी केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को ‘विषराज सिंह’ कहते रहे हैं, तो जद (यू) के प्रवक्ता ने चारा घोटाले में जेल में बंद राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को ‘दुर्योधन’ की उपमा दी है।

जद (यू) प्रवक्ता संजय सिंह ने मंगलवार को राजद सांसद मीसा भारती को सुपर्णखा तक कह दिया। सिंह ने कहा, “मीसा की भूमिका लालू परिवार में सुपर्णखा की तरह है। जिस तरह सुपर्णखा प्राचीन काल में रावण व विभीषण के बीच झगड़ा लगाती थी, उसी तरह मीसा इन दिनों तेजप्रताप और तेजस्वी के बीच झगड़ा लगाती हैं। वह दोनों भाइयों के झगड़े की आग में घी डालती हैं।”

तेजस्वी यादव नीतीश कुमार और सुशील मोदी की तुलना ‘दुर्योधन’ और ‘रावण’ से भी कर चुके हैं। जबकि जद (यू) ने तेजस्वी यादव पर ‘राक्षसी सोच’ और ‘राक्षसी प्रवृत्ति’ का होने का आरोप लगाया है।

भाजपा भी ऐसे विवादित बयानों में पीछे नहीं है। अपने विवादित बयानों से चर्चा में रहने वाले गिरिराज सिंह ने वंदे मातरम नहीं कहने वालों पर निशाना साधते हुए कहा था, “जो वंदे मातरम नहीं गा सकता, जो मातृभूमि का सम्मान नहीं कर सकता, उसे देश माफ नहीं करेगा। मेरे पूर्वज सिमरिया घाट में गंगा नदी के किनारे मरे, और उन्हें कब्र की जरूरत नहीं पड़ी, लेकिन तुम्हें तो तीन हाथ जगह चाहिए।”

इस बयान को लेकर उनके खिलाफ आदर्श चुनाव आचार संहिता उल्लंघन का भी मामला दर्ज किया गया है।

बिहार की राजनीति पर गहरी नजर रखने वाले पटना के वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार कहते हैं, “चुनाव में कुछ नेताओं की बदजुबानी ‘ब्रह्मास्त्र’ बन जाता है। यह पिछले कई चुनावों से देखा जा रहा है। वैसे जनता और खासकर कार्यकर्ता भी इन भाषणों को सुनकर तृप्त होकर नेताओं के हां में हां मिलाते हैं तथा सोशल साइटों पर ऐसे पोस्ट पसंद किए जाते हैं, जिसे नेता मतों से जोड़कर देखते हैं।”

कुमार कहते हैं, “नेताओं के लिए महंगाई, भ्रष्टाचार, वादाखिलाफी, बेरोजगारी को लेकर उबला गुस्सा काफूर हो गया। सभी दल के नेता लगता है अपने चुनावी मुद्दे को भूल से गए हैं।”

हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ऐसे बयानों को सही नहीं मानते। उन्होंने कहा, “चुनाव हो या नहीं हो, ऐसे बयान कहीं से भी राजनीति के लिए सही नहीं हैं। विरोधियों की आलोचना करना सही है, परंतु बयानों में भाषा की मर्यादा बनाए रखनी चाहिए।”

बहरहाल, इस चुनावी समर में नेताओं की बदजुबानी ने अपने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, अब 23 मई को चुनाव परिणाम के बाद ही देखना होगा कि इन नेताओं की बदजुबानी से उनके मतों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि होती है या रिकॉर्ड गिरावट आती है।

बिहार में चुनाव में मुद्दों पर बदजुबानी हावी! Reviewed by on . मनोज पाठकमनोज पाठकपटना, 8 मई (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव के पूर्व सभी राजनीतिक दल अपनी शुचिता और विकास के मुद्दे को लेकर चुनाव में जाने और जमात की तकदीर बदलने की बा मनोज पाठकमनोज पाठकपटना, 8 मई (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव के पूर्व सभी राजनीतिक दल अपनी शुचिता और विकास के मुद्दे को लेकर चुनाव में जाने और जमात की तकदीर बदलने की बा Rating:
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