लखनऊ, 15 नवंबर (आईएएनएस/आईपीएन)। बिहार में भाजपा की हार के कारणों पर वैसे तो अब तक चहुंओर समीक्षाएं हो चुकी हैं। राजनीतिक दलों, पार्टी के लोगों और समाचार जगत से जुड़े सभी माध्यमों (मीडिया) ने अपने-अपने चश्मे से देखकर बिहार में भाजपा की पराजय के कारणों को देश के सामने परोसा। कोई सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अतिवाद को कारण मान रहा है तो कोई भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की नीतियों पर उंगली उठा रहा है। लखनऊ में रह रहे सेवानिवृत्त फौजी कैप्टन आर.डी. गुप्ता का अपना अलग आकलन है। एक दर्जन से ज्यादा कारण गिनाए :
लखनऊ, 15 नवंबर (आईएएनएस/आईपीएन)। बिहार में भाजपा की हार के कारणों पर वैसे तो अब तक चहुंओर समीक्षाएं हो चुकी हैं। राजनीतिक दलों, पार्टी के लोगों और समाचार जगत से जुड़े सभी माध्यमों (मीडिया) ने अपने-अपने चश्मे से देखकर बिहार में भाजपा की पराजय के कारणों को देश के सामने परोसा। कोई सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अतिवाद को कारण मान रहा है तो कोई भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की नीतियों पर उंगली उठा रहा है। लखनऊ में रह रहे सेवानिवृत्त फौजी कैप्टन आर.डी. गुप्ता का अपना अलग आकलन है। एक दर्जन से ज्यादा कारण गिनाए :
1-73 दिन भूखा रखने के बाद वन रैंक वन पेंशन देना
2-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य भाजपा नेताओं का अतिवाद
3-भाजपा नेताओं का व्यक्तिगत टिप्पणी करना
4-भाजपा नेताओं द्वारा जनता के समक्ष अपना विजन न रखना
5-चुनाव के दौरान आरक्षण पर समीक्षा की टिप्पणी
6-भाजपा द्वारा अपना मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट न करना
7-पार्टी का अपना अंतर्विरोध
8-चुनाव में नेताओं का काम न करना
9-शत्रुघ्न सिन्हा को नजरअंदाज करना और उनके बयानों को सहना
10-मांझी को अपनी नाव पर बिठाना
11-क्षेत्रीय नेताओं की संवाद विहीनता
12-बिहार को करोड़ों रुपये की सौगात देने के अंदाज में छिछलापन
13-हार्दिक पटेल को मुख्यधारा से जोड़ने के बजाय जेल भेजना
कैप्टन गुप्ता ने एक जमाने में कांग्रेस के पदाधिकारी रह चुके हैं, मगर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यप्रणाली और उनके वैभव से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त फौजियों को 73 भूखा रखने के बाद उनकी बात मानने का क्या मतलब बनता है? मोदी समेत अन्य भाजपा नेताओं ने चुनाव के दौरान बढ़-चढ़कर बयानबाजी की, जिसकी जरूरत नहीं थी। मोदी समेत भाजपा नेताओं ने जनता के सामने अपना विजन रखने की बजाय अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों पर व्यक्तिगत अटैक किया, जिसका गलत प्रभाव पड़ा।
संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा आरक्षण पर समीक्षा के लिए टिप्पणी करना गलत साबित हुआ। बिहार में हार के कारणों में मांझी को अपनी नाव पर बिठाना, पार्टी की अंतर्कलह एवं अपना मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करना भी प्रमुख कारणों में से हैं। चुनाव में मिली हार में क्षेत्रीय नेताओं नेताओं की भूमिका भी अहम रही है।
भाजपा और मोदी पर नीतीश और लालू कैसे भारी पड़े, के सवाल पर कैप्टन गुप्ता ने कहा कि नीतीश ने अच्छा काम किया। दोनों के मिल जाने से लालू को ज्यादा लाभ मिला। महागठबंधन की जीत के लिए जातपात को एक बड़ा कारण गिनाते हुए उन्होंने कहा कि मुस्लिम, एससी, यादव और बैकवर्ड क्लास ने महागठबंधन का साथ दिया। भविष्य की बात करते हुए उन्होंने कहा कि नीतीश पर लालू राज करेंगे। नीतीश पांच वर्ष तक कुछ नहीं कर सकेंगे।
हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला। विधानसभा की सभी 243 सीटों में से महागठबंधन को 178 सीटों पर जीत मिली। लालू का राजद 80 सीटें लेकर अव्वल रहा। वहीं नीतीश के जदयू को 71 और कांग्रेस को 27 सीटें मिली। भाजपा नीत राजग 58 सीटों तक ही सिमट गया।