पटना, 15 अगस्त (आईएएनएस)। इस साल हुए लोकसभा चुनाव के पूर्व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को रोकने के लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस ने अन्य छोटे दलों के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था, परंतु लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
महागठबंधन में शामिल दल एक-दूसरे सहयोगी दलों को ही आईना दिखा रहे हैं। एक तरफ हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने जहां विधानसभा चुनाव में राज्य की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर महागठबंधन छोड़ने के संकेत दे दिए हैं, वहीं कांग्रेस ने भी महागठबंधन का अस्तित्व लोकसभा चुनाव तक ही रहने की बात कही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा कहते हैं, “महागठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए बना था। जरूरी नहीं कि बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही चलेगा। विधानसभा चुनाव में आवश्यकता पड़ी तो एक विचारधारा रखने वाली पार्टियां मिलकर एक बार फिर से नया आकार दे सकती हैं।”
उन्होंने कहा कि आज की तारीख में हर पार्टी अपने-अपने स्तर से अपनी-अपनी गतिविधियों को चला रही है। उन्होंने यह भी साफ किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में गठबंधन पर फैसला आलाकमान से बात करने के बाद ही लिया जाएगा।
महागठबंधन के एक नेता ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि “महागठबंधन में सारी समस्याओं के मूल में राजद और कांग्रेस हैं। लोकसभा चुनाव हारने के बाद से दोनों पार्टियां पस्त नजर आ रही हैं। कांग्रेस की समस्या राष्ट्रीय नेतृत्व को लेकर थी।” हालांकि नेता ने संभावना जताई कि अब कांग्रेस को ‘खेवनहार’ के रूप में एक बार फिर सोनिया गांधी मिल गई हैं, तो शायद पटना में भी कुछ हलचल शुरू होगी।
नेता ने कहा कि “राजद के सर्वमान्य नेता और अध्यक्ष लालू प्रसाद जेल में हैं। लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद उनके उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव दिल्ली में डेरा जमा लिए हैं। ऐसे में कहीं कोई न महागठबंधन की बैठक हो रही है और न संयुक्त रूप से कोई कार्यक्रम तय हो रहे हैं।”
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौर भी मानते हैं कि तेजस्वी यादव को बड़ी जिम्मेदारी मिली है, जिसका निर्वाह सही ढंग से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी दल व्यक्ति से बड़ा होता है।
उल्लेखनीय है कि दो दिन पूर्व हम ने 2020 का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा की है। पार्टी अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा, “पार्टी को बचाने के लिए ऐसा फैसला लेना पड़ेगा। महागठबंधन में किसी तरह का समन्वय नहीं बचा है।”
लोकसभा चुनाव में बिहार में कांग्रेस ने महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ा था और इस चुनाव में महागठबंधन के सभी घटक दलों को करारी हार का सामना करना पड़ा था। महागठबंधन में कांग्रेस, राजद समेत मांझी की पार्टी हम, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा, शरद यादव और मुकेश सहनी की पार्टी भी शामिल थी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह कई मौके पर लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली जबरदस्त हार के लिए सहयोगी दल राजद को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं।
राजद हालांकि इस मसले पर अभी कुछ भी खुलकर नहीं कह रहा है। राजद विधायक भाई वीरेंद्र कहते हैं कि सभी दलों की अपनी अलग नीति होती है। राजद अभी सदस्यता अभियान चला रहा है। मांझी के बयान पर उन्होंने कहा कि महागठबंधन एकजुट है, लेकिन जिसे जाना है, वह जाए।