दरअसल, बक्सर जिले का विधानसभा चुनाव इसलिए और दिलचस्प हो गया है, क्योंकि तीन-चार सीटों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और जनता दल (युनाइटेड) जद (यू) के नेतृत्व वाले महागठबंधन के आधिकारिक प्रत्याशियों को बागियों से सीधी चुनौती मिल रही है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बक्सर, राजपुर और ब्रह्मपुर में अपने उम्मीदवार उतारे हैं, मगर डुमरांव विधानसभा सीट उपेंद्र कुशवाह की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के लिए छोड़ दी है।
दूसरी ओर, महागठबंधन के घटक जद (यू) ने राजपुर और डुमरांव से अपने उम्मीदवार उतारे हैं तो कांग्रेस ने बक्सर और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने ब्रह्मपुर से अपना उम्मीदवार पेश किया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2010 में बक्सर व ब्रह्मपुर सीट भाजपा ने जीती थी और जद (यू) को डुमरांव व राजपुर सीट पर जीत मिली थी। उस समय दोनों पार्टियों में गठबंधन था।
इस बार भाजपा ने बक्सर सीट पर निवर्तमान विधायक सुखदा पाण्डेय और ब्रह्मपुर सीट पर दिलमणि देवी का टिकट काटा है। वहीं जद (यू) ने भी डुमरांव के विधायक दाऊद अली को टिकट न देकर पूर्व विधायक ददन यादव को मैदान में उतारा है। हालांकि राजपुर से पिछली बार जीते संतोष कुमार निराला पर पार्टी ने फिर भरोसा जताया है।
बक्सर सीट पर कांग्रेस ने पहली बार चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार पर भाग्य आजमाया है तो वहीं ब्रह्मपुर सीट पर राजद ने नए प्रत्याशी पर दांव लगाया है।
बक्सर सीट पर फिलहाल 29 उम्मीदवार मैदान में हैं, मुख्य मुकाबला भाजपा उम्मीदवार प्रदीप दुबे और कांग्रेस उम्मीदवार संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी के बीच है। कांग्रेस नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री के.के. तिवारी के बेटे मुन्ना तिवारी चुनाव मैदान हैं।
पूर्व मंत्री और तीन बार से विधायक रहीं सुखदा पाण्डेय को दरकिनार किए जाने से भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से सरोज कुमार (30) और जद (यू) से बागी हुए अशोक यादव भी बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं। अशोकसत्तारूढ़ पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
ब्रह्मपुर सीट पर रोचक मुकाबले की उम्मीद है। दरअसल, भाजपा ने पूर्व कैबिनेट मंत्री सी.पी. ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर को चुनाव मैदान में उतारा है। इधर, भाजपा से टिकट न मिलने के कारण पूर्व विधायक दिलमणि देवी ने जद (यू) का दामन थाम लिया है और वह राजद उम्मीदवार शंभू यादव के चुनाव प्रचार में जुटी हैं। वहीं राजद ने चार बार विधायक रहे अजीत चौधरी (61) का टिकट काटा है, लिहाजा वह बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।
इधर, डुमरांव सीट पर भाजपा समर्थित रालोस प्रत्याशी राम बिहारी सिंह चुनाव मैदान में हैं। हालांकि वह दोनों बार चुनाव हार चुके हैं और तीन बार जीत चुके विधायक दमन यादव के साथ मुकाबले में हैं। दमन को यहां सियासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जद (यू) का टिकट न मिलने पर दाऊद अली इन दिनों पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी से चुनाव मैदान में हैं।
वहीं राजपुर की आरक्षित सीट पर भाजपा से पहली बार चुनाव मैदान में उतरे विश्वनाथ राम और पूर्व विधायक संतोष कुमार निराला के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है।
गौरतलब है कि राम पूर्व भाजपा विधायक राम नारायण राम के भांजे हैं। वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) और बसपा भी चुनाव मैदान हैं।
बक्सर निवासी आलोक कुमार कहते हैं जिले की कम से कम तीन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना है। वहीं महज राजपुर सीट पर राजग और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है। वह कहते हैं सियासी फेरबदल कई पार्टियों का गणित बिगाड़ सकता है।
नावागढ़ निवासी मुन्ना सिंह कहते हैं कि बक्सर में पेयजल और सिंचाई के पानी को लेकर कई मुद्दे हैं। लोग पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं। बावजूद इसके, इन मुद्दों पर कोई बात नहीं करता। उन्होंने कहा कि महज जाति के आधार पर ही चुनाव लड़ा जा रहा है।
वैसे बक्सर वाम पार्टियों का भी गढ़ रहा है, यहीं से कभी कम्युनिस्टों का कारवां बिहार में बढ़ा था। लिहाजा, वाम दलों के प्रत्याशी भी चुनाव मैदान मे हैं, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) से भगवती प्रसाद और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) से धीरेंद्र चौधरी भी चुनाव मैदान में डटे हैं।