पटना, 10 मई (आईएएनएस)। बिहार की राजनीति में पिछले कुछ दशकों से बाहुबलियों की अपनी खास पहचान रही है। दीगर बात है कि इन दिनों बाहुबलियों की अनुपस्थिति या राजनीति में छद्म शुचिता के कारण उनका स्थान उनकी पत्नियों ने ले लिया है।
पटना, 10 मई (आईएएनएस)। बिहार की राजनीति में पिछले कुछ दशकों से बाहुबलियों की अपनी खास पहचान रही है। दीगर बात है कि इन दिनों बाहुबलियों की अनुपस्थिति या राजनीति में छद्म शुचिता के कारण उनका स्थान उनकी पत्नियों ने ले लिया है।
बिहार में इस लोकसभा चुनाव में भी कई बाहुबलियों की पत्नियां चुनावी अखाड़े में खम ठोंक रही हैं। ऐसे में बिहार का सीवान एक ऐसा लोकसभा क्षेत्र है, जहां से दो बाहुबलियों की पत्नियां आमने-सामने हैं। ऐसे में सीवान का मुकाबला दिलचस्प बना हुआ है, जिस पर सिर्फ बिहार की नहीं बल्कि देश की भी नजर है।
अपराध के लिए चर्चित सीवान लोकसभा क्षेत्र से महागठबंधन की ओर से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को एक बार फिर से चुनावी समर में उतारा गया है, जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से जनता दल (युनाइटेड) ने बाहुबली नेता अजय सिंह की पत्नी और विधायक कविता सिंह को मैदान में उतारकर मुकाबले को कांटे का बना दिया है।
कविता सिंह की सास जगमातो देवी भी जद (यू) की विधायक थीं। उनके निधन के बाद दरौंदा विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में कविता विधायक बनीं।
सीवान संसदीय क्षेत्र के तहत छह विधानसभा सीवान, जीरादेई, दरौली, रघुनाथपुर, दरौंदा और बरहड़िया विधनसभा क्षेत्र आते हैं। माना जाता है कि इस क्षेत्र में यादव, मुस्लिम, राजपूत जातियों का खासा प्रभाव है।
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के ओम प्रकाश यादव ने राजद की हिना शहाब को पराजित किया था। उस चुनाव में ओम प्रकाश को 3,72,670 मत मिले थे, जबकि हिना शहाब को 2,58,823 मतों से संतोष करना पड़ा था। वर्ष 2009 के चुनाव में भी हिना को ओमप्रकाश ने बतौर निर्दलीय पराजित किया था। इस चुनाव में राजग में यह सीट जद (यू) के खाते में चली गई।
हिना शहाब भले ही इस बार तीसरी बार चुनाव मैदान में उतरी हैं, लेकिन राजनीति में उनकी पहचान आज भी इस क्षेत्र का चार बार लोकसभा में प्रतिनिधित्व करने वाले उनके पति मोहम्मद शहाबुद्दीन से ही होती है। शहाबुद्दीन की राजनीतिक पारी की शुरुआत वर्ष 1990 से निर्दलीय विधायक के रूप में हुई थी। वर्ष 1992 से 2004 तक वो चार बार इलाके के सांसद चुने गए। वर्तमान समय में वे सीवान के चर्चित तिहरे हत्याकांड समेत लगभग दर्जनभर मामलों में सजायाफ्ता हैं और दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं।
सीवान के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद पाठक कहते हैं कि सीवान संसदीय क्षेत्र में मुस्लिम और यादव वोटरों का दबदबा है, जो राजद का वोटबैंक माना जाता है। उन्होंने बताया कि निवर्तमान सांसद ओम प्राकश यादव के टिकट कटने के बाद राजग एकजुट नजर नहीं आ रहा था, लेकिन दो दिन पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के दौरे से ना केवल राजग कार्यकर्ताओं में जोश आया है, बल्कि राजग की गुटबाजी को भरने में शाह सफल रहे हैं।
पाठक का दावा है कि इस चुनाव में सीवान में सवर्ण मतदाता भी इस चुनाव के परिणाम को प्रभावित करेंगे।
सीवान अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष दिनेश तिवारी कहते हैं कि सीवान में इस चुनाव में स्थानीय मुद्दे गायब हैं। यहां राष्ट्रवाद मुख्य मुद्दा है। उन्होंने कहा कि दोनों गठबंधन में मुकाबला कांटे का है। हालांकि, वामपंथी दल के प्रत्याशी अमरनाथ यादव मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में लगे हुए हैं। तिवारी कहते हैं कि इनके चुनावी मैदान में आने से महागठबंधन का नुकसान तय माना जा रहा है।
बहरहाल, हिना शहाब को जहां ‘माय’ (मुस्लिम-यादव) समीकरण के अलावा कुशवाहा, मल्लाह व दलितों के वोट बैंक के सहारे जीत की उम्मीद है, वहीं कविता सिंह को सवर्ण जाति के अलावा वैश्य, अतिपिछड़ी व दलित जाति के साथ मोदी लहर पर भरोसा है।
राजग के प्रत्याशी और कार्यकर्ता लोगों के बीच राष्ट्रवाद, प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व को लेकर मतदाताओं के पास पहुंच रहे हैं, वहीं बिहार के पुराने ‘जंगलराज’ को भी याद करवा रहे हैं। इधर, महागठबंधन प्रधानमंत्री पर वादाखिलाफी का आरोप लगाकर मतदाताओं को रिझाने में लगी है।
बहरहाल, सभी दल मतदताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। इस चुनाव में सीवान से कुल 19 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, जो जीतने नहीं तो वोट काटने की स्थिति में माने जाते हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि दोनों गठबंधनों के लिए चुनाव तक अपने वोटबैंक को सुरक्षित रखने की चुनौती है।
इस क्षेत्र में छठे चरण के तहत 12 मई को मतदान होना है, जबकि परिणाम 23 मई को घोषित किए जाएंगे।