पटना, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार विधानसभा परिसर के बाहर गुरुवार को उस समय अफरा-तफरी की स्थिति उत्पन्न हो गई, जबकि कोशी विस्थापित पुनर्वास संगठन और बिहार नवनिर्माण संगठन के बैनर तले सैकड़ों महिला-पुरुषों ने कोशी क्षेत्र में पुनर्वास में हो रही देरी के खिलाफ धरने पर बैठ गए और नारे लगाने लगे। धरने पर बैठे लोगों को हटाने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा, जिसमें कुछ प्रदर्शनकारियों के घायल होने की खबर है।
पुलिस के अनुसार, अलग-अलग समूह में सभी आंदोलनकारी विधानसभा प्रवेश द्वार पर पहुंच गए और नारे लगाने लगे। यह क्षेत्र आंदोलन करने के लिए निषेध है।
पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जितेंद्र राणा ने बताया कि एहतियात के तौर पर 150 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है।
इधर, कोशी विस्थापित पुनर्वास संगठन के मुकेश कुमार का कहना है कि बाढ़ के आए वर्षो गुजर गए, लेकिन अब तक उस क्षेत्र के लोगों को राहत नहीं मिली है। अभी भी खेतों में बालू पसरा हुआ है। उन्होंने पुलिस पर ज्यादती का आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने लोगों को घसीटकर वहां से हटाया, महिलाओं को भी घसीट।
इस घटना के बाद विधानसभा में भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों ने हंगामा किया। सदन के अंदर प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा कि सरकार की अनदेखी के कारण ही लोगों को सड़क पर उतरना पड़ रहा है और जब लोग सड़क पर उतर रहे हैं तब उन पर पुलिस जुल्म ढा रही है।
उल्लेखनीय है कि अगस्त, 2008 में नेपाल के कुसहा में तटबंध टूट जाने से कोशी नदी में आई प्रलयंकारी बाढ़ से कम से कम 30 लाख की आबादी प्रभावित हुई थी। लगभग तीन लाख घर क्षतिग्रस्त हो गए थे। केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया था।