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 बिहार के जहानाबाद जिले के धरणई में स्थित सोलर उर्जा प्लांट से रोशन होते गांव। | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

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बिहार के जहानाबाद जिले के धरणई में स्थित सोलर उर्जा प्लांट से रोशन होते गांव।

10423721_841805719214415_4774281575167174834_n(संतोष सिंह)धरनई, जहानाबाद: एक ऐसे समय में जब भारत के करीब 30 करोड़ लोग बिजली का इंतजार कर रहे हैं, जहानाबाद के एक गांव धरनई ने अंधेरे से मुक्ति पाते हुए आज ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर होने की घोषणा कर दी। आज एक समारोह में ग्रीनपीस द्वारा धरनई में सौर ऊर्जा चालित एक माइक्रो ग्रिड की औपचारिक रूप से शुरुआत हुई। इस विकेंद्रीकृत माइक्रो ग्रिड की उत्पादन क्षमता करीब 100 किलोवाट है और यह अनूठा माॅडल 2,400 की आबादी वाले धरनई को गुणवत्तापूर्ण व किफायती बिजली मुहैया करा रहा है।
चेहरे पर खुशी लिये धरनई निवासी कमल किशोर इस बारे में बताते हैं-‘जब हमारा देश भारत विकास के रास्ते पर तेज गति से कुलांचे भर रहा था, तब हम धरनईवासियों की जिंदगी पिछले 30 वर्षों में मानो ठहर गयी थी। हमने बिजली हासिल करने के लिए ढेरों कोशिशें कीं। हम केरोसिन तेल से जलनेवाले ढिबरी से लेकर महंगे डीजल जेनरेटर पर निर्भर रहने को विवश थे। लेकिन अब हम गर्व से कह सकते हैं कि धरनई अभिनव प्रयोग के मामले में एक लीडर बन गया है। हमने अपनी पहचान ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर एक गांव के रूप में स्थापित कर ली है और देश की विकास रफ्तार के साथ अब हम कदमताल कर सकते हैं।’
राजधानी पटना से करीब 80 किलोमीटर दूर पटना-गया हाइवे पर स्थित धरनई में करीब 3 करोड़ की लागत से यह माइक्रो ग्रिड उद्यम स्थापित हुआ है। अपनी तरह का इकलौता विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा
माॅडल करीब 450 घर-परिवारों तथा 50 दुकानों व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को चैबीसों घंटे व सातों दिन स्वच्छ व किफायती बिजली उपलब्ध करा रहा है। इसके तहत 70 किलोवाट क्षमता से जहां रोजमर्रा के लिए बिजली पैदा की जा रही है। वहीं 30 किलोवाट में प्रत्येक 3 हाॅर्सपावर क्षमतावाले 10 सोलर पंपों से खेतों की सिंचाई हो रही है। तीन महीनों के भीतर निर्मित और गत मार्च महीने से प्रायोगिक तौर पर शुरू तथा तेजी से कहीं स्थापित होनेवाली इस प्रणाली से 60 स्ट्रीट लाइट, दो स्कूल, एक स्वास्थ्य केंद्र और
एक किसान प्रशिक्षण कें्रद भी बिजली से रोशन हो रहे हैं। इसने ग्रामीणों को न सिर्फ एक बेहतर जीवन मुहैया कराया है, बल्कि उनमें प्रगति की उम्मीद व महत्वाकांक्षा भी जगा दी है। गौरतलब है कि दुनिया भर की एक चैथाई से ज्यादा बिजली से वंचित लोगों की विशाल आबादी में भारत के गरीब लोग भी आते हंै, जहां ग्रामीण आबादी के एक तिहाई तबके को बिजली उपलब्ध नहीं है।
विकेंद्रीकृत और विस्तारित किये जाने योग्य ये माइक्रो ग्रिड सततशील व विश्वसनीय बिजली उपलब्ध कराने की प्रमुख संभावना बनते गये हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में धरनई जैसे माॅडल विकास के नये केंद्र के लिए
महत्वपूर्ण प्रेरक सिद्ध होंगे, साथ ही वे शहरी इलाकों में घाटे की भरपाई करेंगे। दरअसल यह वही समाधान है, जो वर्तमान सरकार द्वारा सोलर एनर्जी पर फोकस कर वर्ष 2019 तक सभी घरों तक बिजली उपलब्ध कराने के लक्ष्य को संभव बना सकते हैं।

इस मौके पर मौजूद ग्रीनपीस के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर समित आइच ने कहा कि-‘जब सरकार सिविल सोसायटी संगठनों पर ऊर्जा परियोजनाओं की राह में रोड़ा अटकाने का दोषारोपण कर रही है, वैसे में धरनई जैसा गांव भी है, जिसने वैकल्पिक माॅडल के जरिये अपने ऊर्जा विकास पथ का निर्माण किया है।
कोयला संसाधन तथा नाभिकीय ऊर्जा कारखाने देश के धरनई जैसे गांवों तक बिजली मुहैया कराने में समर्थ नहीं हैं। न ही वे वैश्विक जलवायु समस्याओं के मुद्दों से निबटने और भारत की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में सक्षम हैं। समय आ गया है कि भारत अपनी ऊर्जा रणनीति की समीक्षा करे और सामाजिक व जलवायु संबंधी न्याय की स्थापना के लिए अक्षय ऊर्जा उपायों को प्राथमिकता दे।’
इस शुभ मौके पर बेसिक्स और सीड जैसे साझेदार संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा करीब 25 गांवों के सामुदायिक नेताओं सहित लगभग 3,000 ग्रामीण उपस्थित थे। यह परियोजना ग्रीनपीस इंडिया, बेसिक्स (पटना) और सेंटर फाॅर एनवाॅयरोंमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) के साथ साझा तौर पर संचालित की जा रही है। बेसिक्स माइक्रो फाइनेंस और ग्रामीण आजीविका के विषय पर काम करनेवाली संस्था है, वहीं सीड बिहार में अक्षय ऊर्जा के विकास पर काम करनेवाला एक नेटवर्किंग व थिंक टैंक संगठन है।
धरनई में स्थापित यह माइक्रो ग्रिड स्थानीय लोगों की मंजूरी व सक्रिय भागीदारी से संभव हुआ है। अभी यह प्रणाली भले 100 किलोवाट क्षमता की है, मगर इसकी विशेषता है कि लोगों की आगे की जरूरतों के अनुसार इसकी क्षमता लगातार बढ़ायी जा सकती है। इस मौके पर सीड से जुड़े नवीन मिश्रा ने कहा कि
‘इन दिनों पंगु सोच और नीति से जूझ रहे भारतीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए यह माइक्रो ग्रिड एक सफल जवाब होने की मंशा रखता हैै। दशकों से शहर व गांव बिजली से वंचित रहे हैं और हमारा मानना है कि माइक्रो ग्रिड इस कमी को पूरा कर सकता है। हम बिहार सरकार से आग्रह करते हैं कि वह इस माॅडल पर विचार कर इसके राज्यव्यापी अनुकरण पर ठोस कदम उठाये।’ माइक्रो ग्रिड की शुरुआत के दरम्यान ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी के बीच ग्रीनपीस ने बिहार सरकार से अपील की कि वह धरनई जैसे विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा प्रणाली (डीआरइएस) माॅडल को राज्य के बिजली विहीन गांवों में ऊर्जा लाने के लिए व्यापक पैमाने पर लागू करे। साथ ही राज्य में स्वच्छ व किफायती अक्षय ऊर्जा प्रणाली के प्रोत्साहन के लिए जरूरीनियामकीय संरचना और विकास एजेंडे का निर्माण करे।

बिहार के जहानाबाद जिले के धरणई में स्थित सोलर उर्जा प्लांट से रोशन होते गांव। Reviewed by on . (संतोष सिंह)-धरनई, जहानाबाद: एक ऐसे समय में जब भारत के करीब 30 करोड़ लोग बिजली का इंतजार कर रहे हैं, जहानाबाद के एक गांव धरनई ने अंधेरे से मुक्ति पाते हुए आज ऊर् (संतोष सिंह)-धरनई, जहानाबाद: एक ऐसे समय में जब भारत के करीब 30 करोड़ लोग बिजली का इंतजार कर रहे हैं, जहानाबाद के एक गांव धरनई ने अंधेरे से मुक्ति पाते हुए आज ऊर् Rating:
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