श्रीनगर । उत्तर प्रदेश में आइएएस अधिकारी दुर्गा नागपाल को जहां खनन माफिया पर नकेल कसने के कारण निलंबन झेलना पड़ा है, वहीं जम्मू-कश्मीर में वरिष्ठ आइएएस सोनाली कुमार को राज्य के अधिकारियों को बिरयानी और कबाब के बजाय दाल-चावल खिलाने पर तबादला झेलना पड़ा है। बीते छह वर्षो में सोनाली कुमार का यह 11वां तबादला है। उन्हें 31 जुलाई को नई दिल्ली स्थित जम्मू-कश्मीर के प्रिंसिपल रेजिडेंट कमिश्नर के पद से हटाते हुए जम्मू कश्मीर स्पेशल ट्रिब्यूनल का चेयरमैन बना दिया गया। स्पेशल ट्रिब्यूनल में नियुक्ति को नौकरशाह बिरादरी में एक सजा के तौर पर देखा जाता है। प्रशासनिक हल्कों के मुताबिक, अगर किसी को किनारे करना हो तो उसे ट्रिब्यूनल में भेज दो।
सोनाली कुमार के खिलाफ अधिकारियों ने शिकायत की थी कि नौ जून को नई दिल्ली में जब वे योजना आयोग की वार्षिक योजना बैठक में गए थे, तो उनके साथ पक्षपात हुआ। आइएएस रैंक के कुछ अधिकारियों के लिए पांच सितारा होटल की सुविधा दी गई, जबकि राज्य के अधिकारियों व अन्य नौकरशाहों को जेके हाउस के सीलनभरे कमरों में ठहराया गया। उन्हें खाने में पतली दाल, मटर और चावल दिए गए। एक अधिकारी ने कहा कि हमारे साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया गया। अगर बैठक जरूरी नहीं होती तो हम बहिष्कार कर लौट आते। हमने मुख्यसचिव से एतराज जताया था।
इस संदर्भ में सोनाली कुमार ने कहा कि मैं इस स्थानांतरण से आहत हूं। मुझे उन लोगों की शिकायत पर हटाया गया जो कबाब और बिरयानी न खिलाए जाने से नाराज थे। घटिया खाना दिए जाने की शिकायत निराधार है। दिल्ली की खान मार्किट स्थित शूगर एंड स्पाईस रेस्तरां से भोजन मंगाया गया था। वह मुख्यमंत्री को बरगलाने में सफल रहे हैं। मेरा पक्ष जानने का प्रयास नहीं किया गया। होटल अशोक में रियायती दरों पर कुछ कमरे बुक कराए गए थे। वहां चीफ सेक्रेटरी व वरिष्ठ नौकरशाहों के ठहरने का प्रबंध था, अन्य अधिकारियों को जेके हाउस में ठहराया गया था। मैं इन लोगों को बुरी लगती रही हूं, क्योंकि मैंने हमेशा सरकारी फिजूलखर्ची का विरोध किया है।
सोनाली ने एडिशनल रेजिडेंट कमिश्नर द्वारा भेजे गए बिरयानी के बिल पर भी एतराज जताते हुए कहा कि बीस हजार रुपये की बिरयानी के बिल मैं कैसे पास कर देती। यहां अब नौकरशाहों को सियासी नेताओं का गुलाम बनना पड़ रहा है, उनके साथ खेमेबंदी करनी पड़ रही है जो मैं नहीं कर सकती।