जनपद मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर गंगा के किनारे बसा ऐतिहासिक स्थल बिठूर कई सालों से रेलवे से कटा हुआ है। बिठूर कानपुर-फरु खाबाद रेलवे लाइन के मंधना स्टेशन से जुड़ा हुआ था। लेकिन जब से यह लाइन बड़ी लाइन में तब्दील हुई, तभी से यह रेलवे के नक्शे से बाहर हो गया। इसके बाद से जनप्रतिनिधियों व आम जनमानस द्वारा दोबारा इसको रेलवे से जोड़ने की मांग करता आ रहा है।
लोगों की भावनाओं को देखते हुए रेलवे ने बिठूर को दोबारा रेलवे से जोड़ने के लिए कदम बढ़ा दिया है। मंधना से बिठूर तक की छोटी लाइन को उखाड़ने का काम शुरू कर दिया गया है। रेलवे अधिकारियों की अगर मानें तो साल के अंत तक पर्यटक ट्रेन द्वारा आसानी से सफर कर सकेंगे।
मंधना के बुजुर्ग रघुनंदन दुबे ने बताया कि जब से इस लाइन पर ट्रेन चलना बंद हो गई, तब से बाहरी पर्यटकों के अलावा इलाकाई लोगों को बिठूर जाने मंे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर जब यहां पर मेला लगता है तो सड़क वाहन से जाने पर पूरा दिन खराब हो जाता है।
व्यवसायी रमेश गुप्ता ने बताया कि दोबारा ट्रेन की सेवाएं शुरू होने से बाहरी पर्यटक एक बार मंधना में दिखाई देने लगेंगे, जिससे लोगों को दोबारा रोजगार मिल जाएगा।
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में आजादी के दीवाने सबसे ज्यादा बिठूर से ही अपनी गतिविधियों को अंजाम देते थे। इसी के चलते अंग्रेजों ने इस स्थान को 132 वर्ष पहले मंधना स्टेशन से जोड़ दिया था। रेलवे से जुड़ने के बाद से अंग्रेजों की सेना आसानी से ट्रेन द्वारा बिठूर तक पंहुच जाती थी।